कोरोना संकट के बीच पाकिस्तान में मौत की सजा का सामना कर रहे भारतीय बंदी कुलभूषण जाधव को बड़ी राहत प्राप्त हो गई है। अंतरराष्ट्रीय अदालत के दबाव के आगे झुकते हुए पाकिस्तान की संसद के निचले सदन राष्ट्रिय विधानसभा ने कुलभूषण जाधव को हाई कोर्ट में अपील करने की अनुमति देने वाले बिल को अपनी स्वीकृति दे दी। सैन्य अदालत की तरफ से मौत की सजा का सामना कर रहे कुलभूषण जाधव को आग्रह करने का हक़ नहीं था। इस पर अंतरराष्ट्रीय अदालत ने पाकिस्तान को लताड़ लगाई थी।
वही इस बिल में अंतरराष्ट्रीय अदालत के फैसले के अनुरूप मौत की सजा की समीक्षा करने तथा पुर्नविचार करने के अधिक अधिकार दिए गए हैं। जानकारों का कहना है कि कुलभूषण जाधव के पाकिस्तान की उच्च कोर्ट में आग्रह करने पर उनके भारत वापस भेजे जाने की संभावना बन सकती है। पाकिस्तान का कहना है कि कुलभूषण जाधव को साल 2016 में बलूचिस्तान से पकड़ा गया था तथा उसे जासूसी के दोष में उसी साल एक सैन्य अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी।
भारत ने पाकिस्तान के इस दावे को खारिज किया है और बताया कि कुलभूषण जाधव को ईरान के चाबहार पोर्ट से बंदी किया गया था। भारत ने बताया कि कुलभूषण जाधव ईरान में अपना कारोबार कर रहे थे। अंतरराष्ट्रीय अदालत ने कुलभूषण जाधव के फांसी की सजा पर वर्ष 2018 में पाबंदी लगा दी थी। पाकिस्तानी संसद के निचले सदन राष्ट्रिय विधानसभा ने बृहस्पतिवार को 21 सदस्यीय स्टैंडिंग कमिटी बनाने को अनुमति दे दी। इसका नाम इंटरनैशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस ऐक्ट नाम दिया है। यह कानून बनने के पश्चात् पूरे पाकिस्तान पर लागू होगा।
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