हर बार ही कुंभ मेले में नागा साधु सबके आकर्षण का क्रेंद होते हैं. आज तक आपने नर नागा साधु के बारे में तो कई बार सुना होगा लेकिन क्या आप महिला साधु के रहस्यों के बारे में जानते हैं? हम आपको आज महिला नागा साधुओं से जुड़े रोचक तथ्यों के बारे में बताने जा रहे हैं.
-महिला नागा साधु का जीवन सबसे अलग और निराला होता है. सधी बनने के बाद महिलाओं को गृहस्थ जीवन से कोई मतलब नहीं होता है और इनका जीवन कई कठिनाइयों से भरा हुआ होता है.
-महिला नागा साधू बनने के लिए महिलाओ को 10 से 15 साल तक कठिन ब्रम्हचर्य का पालन करना होता है. जी हाँ... और जो भी महिला साधु या संन्यासन बनना चाहती है उनको अपने गुरू को इस बात का विश्वास दिलाना पड़ता है कि वह साधु बनने के लायक है.
-हैरानी वाली बात तो ये है कि महिला नागा साधु बनने से पहले महिलाओं को खुद को जीवित रहते हुए भी अपना पिंडदान करना पड़ता है और साथ ही उन्हें अपना मुंडन कराना होता है और फिर उस महिला को नदी में स्नान के लिए भेजा जाता है. वो पूरे दिन ही भगवान का जाप करती है और सुबह ब्रह्ममुहुर्त में उठ कर शिवजी का जाप करती है.
-महिलाओं को संस्यास लेने के बाद नंगे साधुओं के साथ भी रहना पड़ता है हालांकि उनपर नग्न होने की ऐसी कोई पाबंदी नहीं है. महिलाएं अपने शरीर पर पीला वस्त्र धारण कर सकती हैं और जब कोई महिला इन सब परीक्षा को पास कर लेती है तो उन्हें माता की उपाधि दे दी जाती है.
-जब भी महिला पूरी तरह से नागा संन्यासन बन जाती है तो अखाड़े के सभी छोटे-बड़े साधु-संत उस महिला को माता कहकर बुलाते हैं.
-महिला साधु को कभी भी नग्न स्नान की अनुमति नहीं मिलती है और यहां तक की कुम्भ मेले में भी नहीं.
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