आप सभी को बता दें कि इस साल कुंभ संक्रांति का पर्व 13 फरवरी 2022 को मनाया जाने वाला है। ऐसे में आप सभी को बता दें कि सूर्य मकर राशि से निकलकर कुंभ राशि में प्रवेश करेगा जिसे कुंभ संक्रांति कहते हैं। इसके चलते इस दिन स्नान, दान, पूजा, कथा श्रवण ( Kumbh Sankranti Puja Katha And Mahatva ) आदि का खासा महत्व होता है। अब आज हम आपको बताने जा रहे हैं इस दिन की कथा।
कुंभ संक्रांति की कथा : पौराणिक कथा के अनुसार, हरिदास नाम का एक बेहद दयालु ब्राह्मण था, जिनकी पत्नी का नाम गुणवती था। गुणवती भी अपेन पति हरिदास की तरह ही दयालु और धार्मिक थी। गुणवती सभी देवी-देवताओं की विधि-विधान से पूजन और व्रत करती थी। गुणवती ने कभी भी ना ही धर्मराज की पूजा की और ना ही उनका कोई व्रत रखा। मृत्यु के पश्चात जब भगवान चित्रगुप्त गुणवती के पापों का लेखा-जोखा कर रहे, तब भगवान चित्रगुप्त ने गुणवती से कहा कि तुमने कभी भी धर्मराज के नाम से कोई भी व्रत-पूजन नहीं किया और ना ही दान-पुण्य किया। यही कारण है कि आपको यह सब भुगतना पड़ रहा है।
भगवान चित्रगुप्त की यह बात सुनकर गुणवती ने कहा, 'हे भगवान' यह भूल मैंने जानबूझकर नहीं की है। यह भूल मुझसे अनजाने में हुई है। अनजाने में की गई इस भूल को सुधारने का आप हमें कोई उपाय बताएं। यह सुनकर धनराज ने कहा कि आप जब भगवान सूर्य उत्तरायण में रहेंगे, तब मेरी विधि-विधान से पूजन-व्रत आरंभ करके पूरे वर्ष कथा सुनना और दान करना। वहीं, एक साल के बाद इस व्रत का उद्यापन जरूर करना। धर्मराज ने गुणवती से कहा, मेरी पूजा के साथ-साथ भगवान चित्रगुप्त जी की भी पूजा करना। उस दिन सफेद और काले तिल के लड्डू का भोग लगाना और यथाशक्ति ब्राह्मणों को दान करना। ऐसा करने से व्यक्ति के जीवन की सभी विघ्न-बाधाएं दूर हो जाती हैं और व्यक्ति का समस्त जीवन सुखमय व्यतीत होता है।
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