जानिए क्या है कुशग्रहणी अमावस्या का महत्व

जानिए क्या है कुशग्रहणी अमावस्या का महत्व
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9 सितंबर को कुशग्रहणी अमावस्या है जिसे आप कुशोत्पाटनी अमावस्या भी कहते हैं. कहा जाता है इस अमावस्या पर उखाड़ा गया कुश 1 वर्ष तक प्रयोग किया जा सकता है. हिन्दू शास्त्र में कुश को बहुत ही शुद्ध और पवित्र माना गया है. वैसे ही अगर आपको कुश को उखाड़ना है तो इसके लिए कुछ नियम होते हैं जिनका प्रयोग किया जाता है. कुश का महत्व श्राद्ध में काफी बढ़ जाता है और आप उन्हें इन नियम से उखड सकते हैं.

* सुबह सबसे पहले स्नान करें और सफेद वस्त्र धारण करें इसके बाद आप कुश उखाड़ सकते हैं.

* कुश उखाड़ते समय अपना मुख उत्तर या पूर्व की ओर रखें.

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* पहले 'ॐ' बोलेन फिर कुश को स्पर्श करें इसके बाद ये मंत्र पढ़ सकते हैं-

'विरंचिना सहोत्पन्न परमेष्ठिनिसर्जन।
नुद सर्वाणि पापानि दर्भ! स्वस्तिकरो भव॥'

* उसके बाद हाथों की मुट्ठी बना कर एक ही बार में कुश उखाड़ लें. इसे एक ही बार में उखाड़ना चाहिए, या फिर आप पहले उसे नुकीली चीज़ से ढीला कर लें.

* कुश उखाड़ते समय 'हुं फ़ट्' कहें. 

आप उन कुश को इस्तेमाल में ले सकते हैं जो स्वाच्छ हों, गंदे मार्ग ओर ना हो, जिसका आगे का हिस्सा कटा या फिर जला हुआ ना हो. इस अमावस्या भी अगर आप भी ऐसा ही कर रहे हैं और आपको कुश का उपयोग करना नहीं आता तो यहां आप पढ़ सकते हैं जो आपके लिए मददगार साबित हो सकती है.

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