हर साल हमारा देश सावन माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नागपंचमी के रूप में मनाता है। पंचमी तिथि नागदेवता को समर्पित तिथि है और उन्हें पंचमी तिथि का स्वामी माना जाता है। नागपंचमी का हमारे देश में विशेष महत्व है। इस दिन नाग देवता की पूजा की जाती है और साथ ही देश के कई हिस्सों में इस दिन कुश्ती का आयोजन भी किया जाता है।
पहलवानों के लिए ख़ास दिन पंगपंचमी
नागपंचमी का दिन पहलवानों के लिए काफी ख़ास माना जाता है। इस दिन अखाड़ों (जहां कुश्ती का आयोजन होता है) को विशेष रूप से सजाया जाता है। इस दिन विशेष रूप से अखाड़े में पहलवान वर्जिश करते हैं और अपना दम-खम दिखाते हैं। कुश्ती के साथ ही इस दिन मुख्य रूप से खो-खो, कबड्डी, ऊंची कूद, लंबी कूद आदि खेलों का भी आयोजन होता है। हालांकि कुश्ती की प्रसिद्धि अलग है। इसकी पहुंच ओलिंपिक तक है। यह दो प्रकार की होती है फ्रीस्टाइल और ग्रीको रोमन। अंतराष्ट्रीय स्तर पर इस खेल ने ख़ूब ख्याति प्राप्त की है। हमारे देश में कई पहलवान हुए हैं, जिन्होंने कुश्ती के बलबूते पूरी दुनिया में नाम कमाया है।
कैसे मनाते हैं नागपंचमी ?
नाग पंचमी का त्यौहार हिन्दू धर्म में विशेष स्थान रखता है। नाग को हिंदू धर्म में देवता मना गया है और पूर्णतः एक दिन यानी कि नागपंचमी का दिन पूरी तरह से नागदेवता को ही समर्पित रहता है। सावन माह की शुक्ल पंचमी को यानी कि नाग देवता की घरों और मंदिरों में पूजा की जाती है, इससे नाग देवता की हम पर विशेष कृपा बनी रहती है। इस दिन नाग देवता के लिए घर की देहली पर दूध का कटोरा रखने की भी परंपरा है। साथ ही आपको इस बात से भी रूबरू करा दें कि इस दिन कई लोग अपने घर के मुख्य प्रवेश द्वार पर नाग देवता की प्रतिमा या फिर उनका चित्र भी लगते हैं।
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