क्यों दिए गए हैं विधवाओं को सफ़ेद रंग ?

क्यों दिए गए हैं विधवाओं को सफ़ेद रंग ?
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हमारे देश में कई परम्परा निभाई जाती है, शादी के पहले की अलग होती है और शादी के बाद अलग होती है. शादी के बाद महिला का जीवन ही बदल जाता है. शादी के बाद महिला वो सब करती है जो उसने पहले कभी नहीं किया होता. आपने देखा ही है शादी के बाद महिला लाल साडी पहनती है और सोलह श्रृंगार करती है. वहीं अगर किसी के पति की मृत्यु हो जाये तो सफ़ेद कपड़ो में ही छोड़ दिया जाता है. तो आज हम बताने जा रहे हैं ऐसा क्यों होता है. आखिर क्यों पहनती है महिला सफ़ेद साड़ी.

हिन्दू धर्म में कई सारे नियम हैं जिसका पालन हर महिला को करना होता है और इसी को देखते हुए महिलाएं पति की मौत के बाद सफ़ेद साड़ी पहनती हैं. भारतीय शास्त्र और संस्कृति में ये कहा गया है महिला का पति ही उसके लिए सब कुछ होता है. महिला के पति की मौत होना महिला के लिए सबसे बड़ा दुःख है. अगर ऐसा होता है तो उसे समाज के बनाये गए नियम का पालन करना पड़ता है जिसमें ये कहा गया है पति के बाद महिला सफ़ेद वस्त्र ही धारण करेगी. सफ़ेद वस्त्रों को पूजा पथ के लिए शुभ माना जाता है जो शांति का प्रतीक भी होता है लेकिन वही सफ़ेद रंग महिला के लिए अशुभ बन जाता है.

* पति की मौत के बाद महिला को रंगों के साथ सब कुछ छोड़ना पड़ता है और सफ़ेद रंग को अपनाना पड़ता है जो ये बताता है कि उनके जीवन में कोई रंग नहीं है.

*  सफेद रंग आत्मविश्वास और शांति का प्रतीक होता है. पति के जाने के बाद महिला अकेली हो जाती है जिसके लिए उनमे शांति और आत्मविश्वास का होना बेहद जरुरी होता है.

* विधवा महिला के लिए समाज का नजरिया ही बदल जाता है. उस महिला को फिर सहानुभूति की निगाह से देखा जाता है.

* कहा गया है सफेद वस्त्र धारण करने से वह स्त्री सांसारिक मोह से छूट जाती है जिससे वो अपने ही जीवन में शांति से रहती है.

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