दुनियाभर में मणियां कई प्रकार की होती है जैसे घृत मणि, तैल मणि, भीष्मक मणि, उपलक मणि, स्फटिक मणि, पारस मणि, उलूक मणि, मासर मणि और लाजावर्त मणि आदि. ऐसे में ज्योतिष के अनुसार लाजावर्त मणि के बारे में जानिए अद्भुत जानकारी आज हम आपको बताने जा रहे हैं. आइए जानते हैं.
कैसी होती है लाजावर्त मणि- आप सभी को बता दें कि यह कई प्रकार की होती है. ऐसे में लाजावर्त नाम का एक पत्थर भी होता है और लाजावर्त या लाजवर्द मणि का रंग मयूर की गर्दन की भांति नील-श्याम वर्ण के स्वर्णिम छींटों से युक्त होता है. कहते हैं यह मणि भी प्राय: कम ही पाई जाती है, लेकिन पत्थर मिलता है और इसके नाम से कई नकली पत्थर भी बाजार में मिलते हैं. ऐसे में नीलम की तरह यह भी नीले रंग का होता है और गाढ़े नीले रंग का लैपिस (लाजावर्त) ज्यादा अच्छा माना जाता है बशर्ते इसमें हरे या भूरे रंग के व्यवस्थित पैटर्न हों.
आइए जानते हैं कैसे धारण करें- आप सभी को बता दें कि लाजावर्त को चांदी की अंगूठी में बनवा के सीधे हाथ की मध्यमा अंगुली में धारण किया जाता है और इसे गले में भी धारण किया जाता है. आप सभी को बता दें कि लाजावर्त मणि को धारण करने से बल, बुद्धि एवं यश की वृद्धि होती ही है और इसे विधिवत रूप से मंगलवार के दिन धारण करने से भूत, प्रेत, पिशाच, दैत्य, सर्प आदि का भी भय नहीं रहता. कहते हैं लाजावर्त मणि या पत्थर तीनों क्रूर ग्रहों (शनि, राहु और केतु) के दोषों और कुप्रभावों को भी खत्म करता है और व्यक्ति घटना, दुर्घटनानों से बच जाता है. इसी के साथ इससे काला जादू और किया-कराया खत्महो जाता है और यह मणि पितृदोष को भी खत्म कर देती है.
अगर अंगूठे से बड़ी है आपके पैर की दूसरी ऊँगली तो जरूर पढ़े यह खबर
पीएम मोदी की कुंडली में है ‘शत्रुहन्ता’ योग, करेंगे शत्रुओं का विनाश