पटना: नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर छिड़ी जंग के बीच जदयू अध्यक्ष ललन सिंह ने बृहस्पतिवार को कहा कि संसद भवन के माध्यम से इतिहास बदलने का प्रयास किया जा रहा है। हम इतिहास बदलने के हिस्सेदार नहीं बनेंगे। उन्होंने कहा कि संसद भवन यदि बना ही था तो राष्ट्रपति से उद्घाटन कराना चाहिए था। पीएम कौन होते हैं उद्घाटन करने वाले। तत्पश्चात, उन्होंने एक बड़ा बयान दे दिया। उन्होंने कहा कि यदि केंद्र में सरकार बदलेगी तो नए संसद भवन से दूसरा काम किया जाएगा।
वहीं बिहार विधानमंडल के नए भवन से नीतीश के नाम वाले शिलापट्ट को उखाड़े जाने को लेकर सम्राट चौधरी के बयान पर ललन सिंह ने निशाना साधा। उन्होंने कहा कि सम्राट चौधरी कानून बनाने वाले हैं क्या? वहीं उन्होंने सुशील मोदी पर हमला बोलते हुए कहा कि लोकतंत्र का आधारशिला सुशील मोदी नहीं रख सकते। इससे पहले जदयू प्रवक्ता एवं MLC नीरज कुमार का बहिष्कार को लेकर बयान आया था। तब उन्होंने कहा था, 'नए संसद भवन का निर्माण इसलिए किया गया है क्योंकि आप (BJP) हमारी विरासत का सम्मान नहीं करते हैं। यह एक राजनीतिक कवायद है तथा इसलिए हम इसके उद्घाटन का बहिष्कार करेंगे।'
उन्होंने यह भी पूछा कि ऐसे वक़्त में जब देश कोरोना महामारी से उत्पन्न आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहा है, तब इस परिसर के निर्माण पर सार्वजनिक धन खर्च करने का क्या मतलब है? हालांकि, जदयू नेता ने उस दलील पर कोई राय नहीं जताई, जिसमें बताया गया कि नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति को करना चाहिए ना कि पीएम को। विपक्षी दलों ने उद्घाटन समारोह का बायकॉट को लेकर संयुक्त बयान जारी किया है। इसमें उन्होंने कहा- नए संसद भवन का उद्घाटन एक अहम अवसर है। हमारे इस भरोसे के बाद भी कि सरकार लोकतंत्र को खतरे में डाल रही है। जिस निरंकुश तरीके से नई संसद का निर्माण किया गया था, उसकी हमारी अस्वीकृति के बाद भी हम अपने मतभेदों को दूर करने तथा इस अवसर को चिह्नित करने के लिए तैयार थे।
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