पटना: बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम एवं राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा कि बिहार में जाति आधारित सर्वेक्षण कराने का फैसला उस सरकार ने किया था जिसमें बीजेपी सम्मिलित थी। उन्होंने उल्लेख किया कि लालू प्रसाद जाति-आधारित सर्वेक्षण का श्रेय लेने का प्रयास कर रहे हैं, भले ही उन्होंने अपने 15 साल के शासनकाल के दौरान कोई सर्वेक्षण नहीं कराया। सुशील मोदी ने कहा कि जातीय, आर्थिक, सामाजिक समेत कुल 27 बिंदुओं पर सर्वे कराया गया था। इन सभी विंदुओं पर ग्राम स्तर के आंकड़ों के साथ सरकार को विस्तृत रिपोर्ट जारी करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि नगर निकायों में आरक्षण देने के लिए प्रदेश सरकार ने बीते वर्ष अतिपिछड़ा वर्ग आयोग बनाया था। उसकी रिपोर्ट अब तक क्यों दबाए रखी गई है? मोदी ने कहा कि अभी जातीय सर्वे के सिर्फ राज्यस्तरीय आंकड़े सामने आए हैं तथा ये अनुमान के अनुरूप हैं। हम सर्वे रिपोर्ट का गंभीरतापूर्वक अध्ययन कर अपनी नीतियाँ तय करेंगे।
गौरतलब है कि सोमवार यानी 2 अक्टूबर को बिहार की नीतीश कुमार सरकार ने बड़ा दांव चलते हुए जातिगत जनगणना के आंकड़े जारी कर दिए। सरकार की रिपोर्ट के अनुसार, बिहार में 36 प्रतिशत अत्यंत पिछड़ा, 27 प्रतिशत पिछड़ा वर्ग, 19 प्रतिशत से थोड़ी अधिक अनुसूचित जाति तथा 1।68 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या बताई गई है। अफसरों के अनुसार, जाति आधारित गणना में कुल आबादी 13 करोड़ 7 लाख 25 हजार 310 बताई गई है। मुख्यमंत्री नीतीश ने ट्विटर पर लिखा, 'आज गांधी जयंती के शुभ अवसर पर बिहार में कराई गई जाति आधारित गणना के आंकड़े प्रकाशित कर दिए गए हैं। जाति आधारित गणना के कार्य में लगी हुई पूरी टीम को बहुत-बहुत बधाई! जाति आधारित गणना के लिए सर्वसम्मति से विधानमंडल में प्रस्ताव पारित किया गया था।
बिहार विधानसभा के सभी 9 दलों की सहमति से फैसला लिया गया था कि प्रदेश सरकार अपने संसाधनों से जाति आधारित गणना कराएगी एवं तारीख 02-06-2022 को मंत्रिपरिषद से इसकी स्वीकृति दी गई थी। इसके आधार पर राज्य सरकार ने अपने संसाधनों से जाति आधारित गणना कराई है। जाति आधारित गणना से न केवल जातियों के बारे में पता चला है बल्कि सभी की आर्थिक स्थिति की जानकारी भी मिली है। इसी के आधार पर सभी वर्गों के विकास एवं उत्थान के लिए अग्रेतर कार्रवाई की जाएगी। बिहार में कराई गई जाति आधारित गणना को लेकर जल्द ही बिहार विधानसभा के उन्हीं 9 दलों की बैठक बुलाई जाएगी और जाति आधारित गणना के नतीजों से उन्हें अवगत कराया जाएगा।'
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