नई दिल्ली: दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने जमीन के बदले नौकरी घोटाले में पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव, उनके बेटे तेजस्वी यादव और अन्य लोगों को तलब करने या न करने के बारे में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। कोर्ट 24 अगस्त को अपना फैसला सुनाएगा। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 6 अगस्त को एक पूरक आरोपपत्र दाखिल किया, जिसमें मामले में 11 लोगों के नाम शामिल हैं। विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने के समक्ष प्रस्तुत इस आरोपपत्र में आरोपों का समर्थन करने वाले 96 दस्तावेज शामिल हैं।
यह मामला ज़मीन के बदले नौकरी घोटाले से जुड़ी मनी लॉन्ड्रिंग योजना के इर्द-गिर्द घूमता है। ईडी के अनुसार, पूरक आरोपपत्र में लालू प्रसाद यादव, उनके बेटे तेजस्वी यादव और उनके परिवार के करीबी अमित कत्याल, हेमा यादव और हृदयानंद चौधरी सहित आठ अन्य लोगों को निशाना बनाया गया है। इससे पहले जनवरी में ईडी ने इसी घोटाले के संबंध में प्रारंभिक आरोप पत्र दाखिल किया था। इसमें बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और उनकी बेटी, सांसद मीसा भारती भी शामिल थीं।
चल रही जांच से पता चला है कि 2004 से 2009 तक रेल मंत्री के रूप में लालू यादव के कार्यकाल के दौरान, यादव परिवार या यादव से जुड़ी कंपनी एके इंफोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड को जमीन हस्तांतरित करने के बदले में कई उम्मीदवारों को भारतीय रेलवे में ग्रुप 'डी' पदों पर नियुक्त किया गया था। अदालत का आगामी निर्णय यह निर्धारित करेगा कि लालू प्रसाद यादव और अन्य को इस मामले से संबंधित आरोपों का सामना करने के लिए औपचारिक रूप से बुलाया जाएगा या नहीं।
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