आंध्र राज्य में राजनीतिक उठा-पटक और भी तेज होती जा रही है। चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी सरकार के तहत कथित अनियमितताओं की जांच के लिए आंध्र सरकार द्वारा आयोजित कैबिनेट उप समिति (सीएससी) ने अमरावती राजधानी क्षेत्र के भूमि लेनदेन में कथित "इनसाइडर ट्रेडिंग" पर उच्च न्यायालय में अपनी रिपोर्ट पेश की। बताया जा रहा है कि उप समिति ने पूर्व मंत्रियों सहित टीडीपी के कई प्रमुख व्यवसायियों और राजनेताओं पर विचार किया और जून 2014 से दिसंबर 2014 के बीच जमीन लेनदेन में कथित इनसाइडर ट्रेडिंग की।
राज्य के वित्त मंत्री बुगना राजेंद्रनाथ रेड्डी द्वारा अपने हलफनामे में सीएससी ने आरोप लगाया है कि अमरावती क्षेत्र में आने वाली राजधानी के बारे में पूर्व सूचना रखने वाले व्यक्तियों द्वारा कम से 4,070 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया गया था और राजधानी अधिसूचना परिचालित होने से पहले किसानों से कम दरों के लिए गुंटूर और कृष्णा जिलों में जमीन के टुकड़े खरीदे थे। सीएससी ने यह भी आरोप लगाया है कि राजधानी के किनारे पर भूमि के मालिक द्वारा गलत तरीके से और अवैध रूप से लाभान्वित होने वाले व्यक्तियों को स्थान पता था। इसमें यह भी बताया गया कि लैंड पूलिंग स्कीम (एलपीएस) के जरिए बड़ी मात्रा में जमीन धोखे से सरेंडर कर दी गई।
हलफनामे में पूर्व मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू, पूर्व मंत्री परतला सुनिता, लोक लेखा समिति के अध्यक्ष व विधायक पवैदुला केशव, एनआरआई वेमरू रवि कुमार प्रसाद, पूर्व विधायक जी वी एस अंजनुलु व धुलिपल्ला नरेंद्र, कंबापति राममोहन राव व कई अन्य लोगों के नाम थे। उप समिति ने यह भी आरोप लगाया है कि जमीनों की खरीद से एपी सौंपा भूमि (स्थानांतरण प्रतिषेध) अधिनियम, 1977 और अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के प्रावधानों का उल्लंघन हुआ है।
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