नई दिल्ली: भारत सहित पूरी दुनिया इस वक़्त कोरोना वायरस और उसके नए वेरिएंट Omicron से जूझ रही है. मगर जैसे-जैसे टीकाकरण की रफ्तार तेज हुई है, वैसे-वैसे कोरोना या Omicron का कहर भी कम हुआ है. दुनियाभर में तक़रीबन सभी देशों ने टीकाकरण तेज कर दिया है. इसका अनुमान, इस बात से लगाया जा सकता है कि गत वर्ष पूरी दुनिया में 11 अरब से अधिक कोरोना वैक्सीन का उत्पादन हुआ है. यह आंकड़ा 2019 में कोरोना महामारी के आरंभ होने के बाद उत्पादित की गई वैक्सीन की तादाद से दोगुना है.
इस दौरान चीन की कोरोना वैक्सीन सिनोवेक और सिनोफार्म ने सबसे अधिक वैक्सीन का उत्पादन किया गया. यूनिसेफ की एक रिपोर्ट के अनुसार, इसमें सिनोवेक की 2.3 अरब टीकों का उत्पादन हुआ, जो कुल वैक्सीन उत्पादन का 21 फीसद है, जबकि सिनोफार्म की 2.1 अरब वैक्सीन का उत्पादन हुआ, जो कुल उत्पादन का 19 फीसद है. इसमें भारत की सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (SII) का योगदान भी 13 फीसद दर्ज किया गया. SII द्वारा कोविशील्ड (Covishied) की 1.4 अरब खुराकों का उत्पादन किया गया. बता दें कि दुनियाभर में फैले कोरोना वायरस के बीच भारत कोविड -19 वैक्सीन का ‘पावरहाउस’ बनने पर फोकस कर रहा है.
बताया जा रहा है कि इसके लिए केंद्र सरकार ने एक योजना भी बनाई है. केंद्र सरकार ने वैक्सीन की उत्पादन आरंभ करने के लिए उनके संसाधनों और क्षमताओं को समझने के लिए चार पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग (PSU) के साथ संपर्क किया है. सरकार की ओर से हिंदुस्तान कीटनाशक लिमिटेड (HIL), बंगाल केमिकल्स एंड फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड (BCPL), इंडियन ड्रग्स एंड फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड (IDPL) और हिंदुस्तान एंटीबायोटिक्स लिमिटेड (HAL) जैसी कंपनियों को चर्चा के लिए आमंत्रित किया गया है.
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