मुंबई: यह बात साल 1942 के आस-पास की है। फिल्म की शूटिंग चल रही थी। मां-बेटी के बीच बातचीत का एक सीन था। मां कुछ गुस्से में थी और बेटी को लगातार डांट रही थी। डांटते-डांटते उसे इतना क्रोध आया कि उसने बेटी के गाल पर एक ज़ोरदार थप्पड़ जड़ दिया। बेटी की भूमिका निभा रही दुबली-पतली सी लड़की, उस थप्पड़ को झेल नहीं पाई और नीचे गिर पड़ी और गुमसुम हो गई। सेट पर अफ़रा-तफ़री मच गई। लड़की को उठाने का प्रयास करने वाले लोगों ने देखा कि उसके कान से खून निकल रहा है।
आनन फानन में डॉक्टर को बुलाया गया और दवा-गोली देकर उसे आराम करने के लिए घर पंहुचा दिया गया। सेट पर चांटा खाकर गिर जाने वाली तेरह-चौदह साल की वह दुबली-पतली लड़की और कोई नहीं बल्कि लता मंगेशकर थीं। वही लता मंगेशकर जिन्हें आज दुनिया स्वर-सम्राज्ञी, कोकिल-कंठा और वॉयस ऑफ़ मिलेनियम जैसे कई नामों से जानती है। वही लता मंगेशकर जिन्हें पद्म श्री, पद्म भूषण, पद्म विभूषण के साथ ही देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत-रत्न से भी सम्मानित किया जा चुका है।
दादा साहब फाल्के पुरस्कार तो उन्हें आज से 30 साल पहले ही दे दिया गया था। अपनी आयु के 90 वर्ष पूरे करने के बाद भी, आज भी संगीत लता जी के लिए उनका पहला प्यार है। दरअसल, उनका पहला प्यार तो उस वक़्त भी संगीत ही था, जब उन्हें गुड्डे-गुड़ियों से खेलने या पढ़ने-लिखने की आयु में अभिनय करने के लिए कैमरे के सामने खड़ा कर दिया गया था। कारण था पिता दीनानाथ मंगेशकर की अचानक मृत्यु के बाद लता को केवल अपना ही नहीं, अपने चार छोटे बहन-भाइयों का भी पेट पालना था।
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