आज सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) का निधन हो गया है। आज यानी रविवार सुबह उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया है। एक मशहूर वेबसाइट की रिपोर्ट को माने तो उनकी मौत की वजह मल्टीपल ऑर्गन फेल्योर (Multiple organ failure) बताई गई है। वहीं दूसरी तरफ नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ की रिपोर्ट कहती है, ICU में होने वाली ज्यादातर मौतों की वजह मल्टीपल ऑर्गन फेल्योर होता है। आप सभी को बता दें कि ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल (Breach Candy Hospital) में लता मंगेशकर का इलाज कर रहे है डॉ। प्रतीत समदानी ने अपने बयान में कहा है, पोस्ट कोविड के बाद 28 दिन तक हॉस्पिटल में चले इलाज के बाद मल्टीपल ऑर्गन फेल्योर के कारण उनकी मौत हुई है। आप सभी को बता दें कि यह ऐसी स्थिति है जब शरीर के कई अंग धीरे-धीरे काम करना बंद कर देते हैं। ऐसे में नतीजा यह रहता है कि मरीज को एक साथ कई तरह ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। अब आज हम जानते हैं क्या होता है मल्टी ऑर्गन फेल्योर? और कैसे समझें, इसके लक्षणों को?
क्या होता है मल्टी ऑर्गन फेल्योर?- जब शरीर में दो या उससे अधिक अंग एक साथ काम करना बंद कर देते हैं तो इस स्थिति को ही मल्टीपल ऑर्गन फेल्योर या मल्टीपल ऑर्गन डिस्फंक्शन सिंड्राेम (MODS) कहा जाता है। जी हाँ और ऐसे मामलों में शरीर के कई अंगों समेत रोगों से बचाने वाला इम्यून सिस्टम बुरी तरह प्रभावित हो जाता है।
कैसे समझें, इसके लक्षणों को- NCBI की रिपोर्ट को माने तो मल्टीपल ऑर्गन फेल्योर की स्थिति में हिमेटोलॉजिक, इम्यून, कार्डियोवेस्कुलर, रेस्पिरेट्री और एंडोक्राइन सिस्टम पर सीधे तौर पर बुरा असर होता है। जी हाँ और इससे मरीज में एक साथ कई तरह दिक्कतें दिखने लगती हैं। नतीजा, स्थिति गंभीर हो जाती है। वहीं दूसरी तरफ एक्सपर्ट का कहना है कि इसके लक्षण मरीजों में अलग-अलग दिख सकते हैं, यह निर्भर करता है कि किस हद तक मरीज के अंदरूनी अंग प्रभावित हुए हैं। लक्षणों में दिनभर पेशाब न होना, आसानी से सांस न ले पाना, मांसपेशियों में अत्यधिक दर्द महसूस होना या शरीर में थरथराहट या कंपन्न महसूस होना शामिल है। इसी के साथ NCBI की रिपोर्ट कहती है, ऐसी स्थिति में हृदय, फेफड़े, किडनी जैसे कई अहम अंग सीधेतौर पर प्रभावित होते हैं, इसलिए मरीज की हालत गंभीर हो जाती है।
किसे खतरा अधिक है- आपको बता दें कि मल्टीपल ऑर्गन फेल्योर का खतरा दो तरह के मरीजों में सबसे ज्यादा रहता है। इस लिस्ट में पहला, उन लोगों में इसका सबसे ज्यादा रिस्क रहता है, जिनके शरीर में इम्यूनिटी का लेवल कम है। वहीं दूसरा, जिन्हें किसी तरह की अंदरूनी इंजरी होने का रिस्क ज्यादा है।
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