लखनऊ: रामनगरी अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की तैयारियां जोरो-शोरो से की जा रही हैं. 5 अगस्त को राम जन्म-भूमि पूजन का आयोजन प्रस्तावित है. इसके साथ-साथ भव्य राम मंदिर निर्माण का कार्य भी प्रारम्भ हो जाएगा. भूमि-पूजन में नक्षत्र से लेकर बाकी सभी मान्यताओं का विशेष तौर पर ध्यान रखा गया है. गया की फल्गु नदी का बालू भी राम मंदिर की आधारशिला में उपयोग किया जाएगा.
साथ ही राम मंदिर भूमि-पूजन के चलते गर्भगृह के भीतर चांदी की पांच ईंट का उपयोग किया जाएगा. हिंदू मान्यताओं के मुताबिक, ये पांच ईंट पांच नक्षत्रों का स्वरुप होंगी. यह माना जाता है कि अभिजीत मुहूर्त में भगवान श्री राम का जन्म हुआ था, उसी को ध्यान रखते हुए भूमि-पूजन का समय भी निश्चित किया गया है. विश्व प्रसिद्ध मोक्ष भूमि गया से भी भगवान राम का सम्बन्ध है, लिहाजा वहां की पवित्र फल्गु नदी की रेत का उपयोग भी मंदिर के निर्माण में किया जा रहा है.
बताया जाता है कि फल्गु के तट पर भगवान राम ने अपने भाई लक्ष्मण और सीता के साथ पिता राजा दशरथ की आत्मा की मुक्ति के लिए पिंड दान किया था. ओर यही कारण है कि फल्गु नदी की रेत का इस्तेमाल अयोध्या में बनने जा रहे भगवान राम के मंदिर में किया जा रहा है. गया में विश्व हिंदू परिषद के विभाग अर्चक पुरोहित प्रमुख प्रेमनाथ टइया ने अपने बयान में बताया है उन्हें यह जानकारी प्राप्त हुई कि अयोध्या में मंदिर निर्माण में सात समुद्रों का पानी, देश की सभी धार्मिक नदियों का पानी, प्रमुख धामों की मिट्टी और फल्गु नदी के बालू का इस्तेमाल किया जाना है. वही अब राम मंदिर के भव्य निर्माण को लेकर सभी बेहद उत्साहित है.
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