बैंगलोर: ‘सरकार के आदेश ने मुझे भी पसोपेश में डाल दिया था, मैं दुविधा में पड़ गई थी। क्योंकि मजहब भी जरुरी था और शिक्षा भी। अब यदि मुझे स्कूल में पढ़ना है तो हिजाब छोड़ना पड़ेगा। यदि हिजाब पहनूंगी तो फिर स्कूल नहीं जा सकती थी। मगर मुझे पता था कि क्या करना है? मैं अपने भविष्य के लिए स्पष्ट थी’… ये कहना है कि कर्नाटक बोर्ड परीक्षा में टॉप करने वाली मुस्लिम छात्रा तबस्सुम का।
दरअसल, कर्नाटक सरकार ने स्कूल में हिजाब पहनने पर रोक लगा दी थी, सरकार के इस आदेश के बाद जमकर हंगामा हुआ। दरअसल, सरकार का आदेश था कि, सभी बच्चे केवल यूनिफार्म में ही स्कूल आएं, ताकि सबमे समानता दिखे। लेकिन, सरकार के इस फैसले के विरोध में कई मुस्लिम लड़कियों ने स्कूल जाना बंद कर दिया और उनकी पढ़ाई लिखाई बंद हो गई। यहां तक कि, इस मामले को लेकर कुछ हत्याएं भी हुईं । मामला सर्वोच्च न्यायालय तक पहुंच गया। हालांकि तबस्सुम ने मजहब और शिक्षा के बीच शिक्षा का चुनाव किया और वो स्कूल जाने लगी। इसी का परिणाम है कि नगरत्नम्मा मेदा कस्तूरीरंगा शेट्टी राष्ट्रीय विद्यालय (NMKRV) की छात्रा तबस्सुम ने बोर्ड परीक्षा में टॉप किया है। कर्नाटक प्री-यूनिवर्सिटी एजुकेशन डिपार्टमेंट ने PUC की दूसरे एग्जाम में तबस्सुम ने सर्वाधिक नंबर पाए। तबस्सुम ने 600 में से 593 नंबर हासिल किए हैं।
तबस्सुम भी पहले अपनी कक्षा में हिजाब पहनकर ही जाती थी। मगर, सरकार और कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले के बाद उसने हिजाब को छोड़ शिक्षा को प्राथमिकता दी। पूरे कर्नाटक में PUC में हिजाब बैन के बाद खूब हंगामा हुआ था। इस मामले में सियासत भी जमकर हुई। उस समय को याद करते हुए टॉपर छात्रा तबस्सुम ने कहा कि वो बेहद चिंतित हो गई थी। स्कूल में हंगामा हो गया था। डर लग रहा था कि कहीं कोई अराजकता की स्थिति न उत्पन्न हो जाए। उडुपी के एक सरकारी स्कूल में 6 छात्राओं ने दावा किया था कि उन्होंने हिजाब पहना था इसलिए उनको क्लास में नहीं जाने दिया गया। देखते ही देखते पूरे राज्य में विरोध फैल गया। तबस्सुम ने कहा कि शिक्षा और हिजाब की लड़ाई में मैंने शिक्षा को चुना। अब वे हिजाब पहनकर स्कूल तो जाती हैं, लैकिन कक्षा में हिजाब उतारकर अन्य छात्रों के समान पढ़ाई करती हैं, तबस्सुम की इस उपलब्धि पर उसके परिजन भी काफी खुश हैं।
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