'वामपंथी दल करते थे UCC लागू करने का वादा, भाजपा अकेली नहीं..', एक देश-एक कानून को गवर्नर आरिफ खान का पूरा समर्थन

'वामपंथी दल करते थे UCC लागू करने का वादा, भाजपा अकेली नहीं..', एक देश-एक कानून को गवर्नर आरिफ खान का पूरा समर्थन
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कोच्ची: भारत में पीएम नरेंद्र मोदी के बयान के बाद समान नागरिक संहिता (UCC) को लेकर तीखी बहस शुरू हो चुकी है. मुस्लिम संगठन और कुछ राजनेता इसका पुरजोर विरोध कर रहे हैं। इसी बीच केरल के गवर्नर और राजीव गांधी सरकार में मंत्री रहे आरिफ मोहम्मद खान ने सोमवार (3 जुलाई) को बड़ा दावा करते हुए कहा कि वामपंथी भी उन लोगों में शामिल रहे हैं जो UCC के बड़े समर्थक रहे हैं. उन्होंने कहा है कि देश में ऐसे सियासी दल हैं, जिनके चुनाव घोषणापत्र में UCC का मुद्दा शामिल रहा है. ये अकेला भाजपा का ही मुद्दा नहीं है.

मीडिया से बात करते हुए गवर्नर आरिफ मोहम्मद खान का कहना है कि वह किसी भी सियासी दल का बचाव नहीं कर रहे हैं. हालांकि, उनका ये भी कहना है कि इस बारे में किसी विशेष पार्टी से सवाल नहीं किए जाने चाहिए, जो इस मामले में एक तर्कसंगत रुख को अपना रही है. दरअसल, गवर्नर का इशारा भाजपा के तरफ ही था. उन्होंने एक देश एक कानून को लेकर आगे कहा कि सवाल उन लोगों से किए जाने चाहिए, जो कम से कम 1999 तक UCC के बड़े समर्थक में से एक रहे हैं. उनका पुराना चुनावी मैनिफेस्टो देखा जा सकता है. मोहम्मद आरिफ खान का कहना है अब उनमें से कुछ ने अपना रुख बदल दिया है. उन्हें समझाने की आवश्यकता है. वामपंथी पार्टियां UCC के लिए शर्तें लगा रही थीं, जिसमें केरल के पूर्व सीएम ईएमएस नंबूदरीपाद भी शामिल रह चुके हैं. बता दें कि, केरल गवर्नर UCC का पुरजोर समर्थन किया है, जबकि CPI(M) के नेतृत्व वाली केरल सरकार इसका विरोध कर रही है और इल्जाम  लगा रही है कि यह कानून ‘मुस्लिमों के खिलाफ भेदभावपूर्ण’ है. हालाँकि, गवर्नर का कहना है कि, 1999 तक यही CPIM अपने मैनिफेस्टो में UCC लागू करने का वादा कर रही थी। 

केरल के गवर्नर आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि UCC इंसाफ की बराबरी के उद्देश्य को पूरा करने वाला है. इसमें धर्म के आधार पर किसी के साथ पक्षपात नहीं किया जाएगा. उन्होंने दावा करते हुए कहा है कि इस कानून के जरिए रीति-रिवाजों, अनुष्ठानों या फिर प्रथाओं में बराबरी का सवाल नहीं उठता है. न ही उसे एक प्रकार से देखा जाएगा. कानून का मुख्य उद्देश्य बराबरी का इंसाफ लाना है. गवर्नर ने दलील देते हुए कहा कि अगर मुस्लिम पर्सनल लॉ इस्लाम का पालन करने का अभिन्न हिस्सा है, तो उन देशों में रहने वाले मुस्लिमों के खिलाफ कोई फतवा क्यों नहीं है, जहां इन पर्सनल लॉ की इजाजत ही नहीं है.

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