देहरादून: दिनों दिन मानव और गुलदार के बढ़ते संघर्ष का एक बड़ा कारण बाघ भी है. जंहा बाघ से डरकर ही गुलदारों ने जंगल छोड़ना शुरू किया और शिकार की तलाश में बस्तियों का रुख कर रहे है. वहीं विशेषज्ञों के अनुसार विडाल वंश के इन दोनों जानवरों में बिल्कुल भी नहीं बनती है. गुलदार आसानी से बाघ का शिकार बन जाता है. यही कारण है कि जैसे-जैसे बाघों की संख्या बढ़ने लगी तो वहां से गुलदार की संख्या घटती गई.
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस बात का पता चला है मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक राजीव भरतरी ने बताया कि गुलदार के स्वभाव को लेकर काफी खोज की जा रही है. गुलदारों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हुई है, जिससे वह आसान शिकार की खोज में मानव बस्तियों में चला जाता है. लेकिन, सबसे बड़ा कारण बाघों की संख्या बढ़ना है. बाघ एक किमी की परिधि में गुलदार को देखकर उसे मार डालता है दरअसल, बाघ एक किलोमीटर की परिधि में गुलदार को देखकर उसे मार डालता है. चूंकि, टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है तो गुलदार भी उसी अनुपात में वहां से भाग रहे हैं.
वहीं यह भी कहा जा रहा है कि ताजा आंकड़ों के अनुसार वर्तमान में प्रदेश में कुल 2334 गुलदार हैं. वहीं लेकिन, इनमें से ज्यादातर लगभग 1742 गुलदार रिजर्व क्षेत्रों से बाहर और कुछ बस्तियों में भी चले गए. इस वक्त दोनों टाइगर रिजर्व में 424 बाघ हैं. जबकि, इन दोनों क्षेत्रों में केवल 532 गुलदार ही बचे हैं. इससे साफ होता है कि बाघ से डरकर गुलदार दूरस्थ जंगलों में चले गए, जिनमें से काफी अब मानव बस्तियों का रुख भी कर चुके हैं.
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