मुंबई: महाराष्ट्र और झारखंड में चुनावों की घोषणा के साथ ही राजनीतिक दल चुनावी प्रचार में जुट गए हैं। सभी पार्टियां दलित वोटों को अपने पक्ष में करने की कोशिश कर रही हैं। महर्षि वाल्मिकी जयंती के अवसर पर, पार्टियां खुद को दलितों की असली हितैषी दिखाने में लगी हुई हैं। हरियाणा में भाजपा ने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के शपथ ग्रहण समारोह को वाल्मिकी जयंती के दिन रखा। सैनी ने पंचकूला के वाल्मिकी मंदिर में पूजा भी की। दूसरी ओर, कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने दिल्ली के वाल्मिकी मंदिर में पूजा कर दलित समुदाय को अपने साथ जोड़ने का प्रयास किया।
दोनों राज्यों, महाराष्ट्र और झारखंड, में दलित वोटों का महत्वपूर्ण प्रभाव है और ये किसी भी पार्टी या गठबंधन की जीत में अहम भूमिका निभा सकते हैं। महाराष्ट्र में 20 नवंबर को एक चरण में 288 सीटों के लिए मतदान होगा। झारखंड में, दो चरणों में 13 और 20 नवंबर को 81 सीटों के लिए चुनाव होंगे। इन चुनावों के नतीजे 23 नवंबर को घोषित किए जाएंगे। महाराष्ट्र की कुल आबादी में दलित समुदाय लगभग 14 प्रतिशत है, जिसमें से अधिकतर महार समुदाय के हैं और बाकी मातंग, भांबी और अन्य जातियां हैं। इसके अलावा, राज्य में अनुसूचित जनजाति (एसटी) की आबादी 8 प्रतिशत से अधिक है। इसी तरह, झारखंड में अनुसूचित जाति की जनसंख्या लगभग 12 प्रतिशत है, जबकि आदिवासी समुदाय की जनसंख्या 26 प्रतिशत है।
हरियाणा में कांग्रेस की हार की एक बड़ी वजह दलित वोटरों का उनसे छिटकना रहा। एक सर्वे के अनुसार, कांग्रेस को जाटव समुदाय का समर्थन तो मिला, लेकिन गैर-जाटव दलित वोट उनसे दूर हो गए। पार्टी की प्रमुख दलित नेता कुमारी सैलजा भी जाटव समुदाय से आती हैं। सर्वे में बताया गया कि कांग्रेस को 50 प्रतिशत जाटव वोट मिले, लेकिन गैर-जाटव वोटों का प्रतिशत केवल 33 प्रतिशत था। वहीं, बीजेपी को 35 प्रतिशत जाटव और 43 प्रतिशत गैर-जाटव वोट मिले।
'किसी से गठबंधन नहीं, अकेले पूरी ताकत से लड़ेंगे चुनाव..', राज ठाकरे का बड़ा ऐलान
बदले जाएंगे कई राज्यों के गवर्नर, जम्मू-कश्मीर में इन्हे मिल सकता है पद
महज 6 महीने के लिए CJI बनेंगे जस्टिस संजीव खन्ना, फिर दलित जज का नंबर!