लखनऊ: उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले के कोइरीपुर नगर पंचायत में हुई एक घटना ने फिर से इस्लामी कट्टरपंथ और धार्मिक असहिष्णुता के सवालों को जन्म दिया है। यहां 10 जनवरी 2024 को एक मामूली विवाद के बाद मुस्लिम भीड़ पर हिंदुओं पर जानलेवा हमला करने का आरोप लगा है। इस हमले में दो हिंदू युवक, जतिन और मोहित, गंभीर रूप से घायल हो गए, जिनके सिर पर चोटें आई हैं।
Communal clashes in Sultanpur, UP:
— Treeni (@TheTreeni) January 11, 2025
Majid, Sadaab, Sahil, Mohammad Anas, Mohammad Kaif, and several others, allegedly attacked with swords, rods, and other weapons, injuring four people, after a minor bike collusion on Friday.
Two victims, Jatin and Mohit, sustained head… pic.twitter.com/8XRGRdjOit
यह विवाद तब शुरू हुआ जब एक हिंदू युवक की बाइक गलती से एक मुस्लिम लड़के के पैर पर चढ़ गई। इस छोटी-सी बात पर दोनों पक्षों में गालीगलौज हुई, लेकिन मामला तुरंत शांत भी हो गया। हालांकि, हिंदू पक्ष का कहना है कि मामला शांत होने के बावजूद मुस्लिम पक्ष ने इसे व्यक्तिगत दुश्मनी में बदल दिया और शाम को बड़ी संख्या में उनके इलाके में हमला करने आ गए।
मुस्लिम पक्ष के 40-50 लोग, जिनमें जैद राईन, हामिद राईन, सुफियान अंसारी, इसरार, माजिद, सद्दाब, मोहम्मद कैफ, साहिल, मोहम्मद अनस, मोहम्मद आकिब जैसे नाम सामने आए हैं, लाठी, बाँका, और तलवारें लेकर हिंदुओं के घरों पर हमला करने पहुंचे। हिंदू परिवारों का आरोप है कि इन लोगों ने केवल पुरुषों को ही नहीं, बल्कि महिलाओं और बच्चों को भी निशाना बनाया।
घटना में सबसे चिंताजनक बात यह है कि हमलावरों ने धमकी दी, "जब हमारी सरकार आ जाएगी, तो तुम्हारा गला काट देंगे, बाल काटकर मस्जिद में रख देंगे।" एफआईआर में यह साफ लिखा गया है कि हमलावर समाजवादी पार्टी (सपा) या कांग्रेस (INDIA गठबंधन) की सरकार आने की बात कर रहे थे। सवाल यह है कि क्या सपा या कांग्रेस की सरकार आने पर इन्हें कानून-व्यवस्था तोड़ने और खुलेआम हिंसा करने की छूट मिलेगी?
हमलावरों का यह बयान इस्लामी कट्टरपंथी मानसिकता को उजागर करता है, जो राजनीतिक दलों की कमजोरियों और तुष्टिकरण की नीतियों से फल-फूल रही है। अगर सपा सरकार में उन्हें इस तरह की हिंसा करने की छूट मिलती है, तो क्या यह राजनीतिक तंत्र के कमजोर होने का संकेत नहीं है? यह घटना उस गहरी समस्या की ओर इशारा करती है, जो दशकों से भारत में बढ़ रही है। आजादी के बाद से ही कुछ राजनीतिक दलों ने तुष्टिकरण की राजनीति के जरिए कट्टरपंथ को बढ़ावा दिया है। धर्म और जाति के नाम पर वोट बैंक तैयार करने की रणनीतियों ने इन कट्टरपंथियों को इतना साहस दिया है कि वे खुलेआम गला काटने जैसी धमकियां देने लगे हैं।
देश की जनता को अब इन सच्चाइयों को समझने की जरूरत है। जब तक लोग बुद्धि और विवेक का इस्तेमाल करके वोट नहीं देंगे, तब तक यह कट्टरपंथ खत्म नहीं होगा। यह घटना केवल सुल्तानपुर की नहीं है, बल्कि पूरे देश के लिए एक चेतावनी है। अगर अब भी इन कट्टरपंथियों और उनके राजनीतिक संरक्षकों को नहीं रोका गया, तो स्थिति और भयावह हो सकती है।
फिलहाल, पुलिस ने इस मामले में एफआईआर दर्ज कर ली है और इलाके में शांति बनाए रखने के लिए पुलिस बल तैनात कर दिया गया है। घायलों को मेडिकल सहायता दी गई है, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या केवल पुलिस बल से ऐसे हमलों को रोका जा सकता है? क्या राजनीतिक दलों की जवाबदेही नहीं बनती, जो इन कट्टरपंथियों के समर्थन में खड़े नजर आते हैं?
देश की सुरक्षा और सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने के लिए अब समय आ गया है कि ऐसे कट्टरपंथी तत्वों और उन्हें समर्थन देने वाली नीतियों का सख्ती से विरोध किया जाए। जब तक जनता ऐसे मुद्दों पर मुखर नहीं होगी, तब तक ऐसी घटनाएं होती रहेंगी और इस्लामी कट्टरपंथ फलता-फूलता रहेगा।