नई दिल्ली: हरिद्वार में धर्म संसद में धार्मिक नेताओं द्वारा कथित नफरत भरे भाषणों का मामला बड़े विवाद का रूप लेता जा रहा है। रविवार को इस मामले को लेकर सर्वोच्च न्यायालय के 76 वकीलों ने CJI एनवी रमण को पत्र लिखकर इन नफरती भाषणों पर स्वत: संज्ञान लेने का आग्रह किया है। उन्होंने धार्मिक नेताओं द्वारा नरसंहार के आह्वान को गंभीर खतरा करार दिया है।
CJI एनवी रमण को चिट्ठी लिखने वालों में दुष्यंत दवे, प्रशांत भूषण, वृंदा ग्रोवर, सलमान खुर्शीद और पटना उच्च न्यायालय की पूर्व न्यायाधीश अंजना प्रकाश जैसे नामचीन वकील शामिल हैं। उन्होंने पूरे मामले पर चिंता प्रकट करते हुए अदालत से कहा है कि पुलिस कार्रवाई नहीं होने की वजह से फ़ौरन न्यायिक हस्तक्षेप जरूरी हो जाता है। चिट्ठी में कहा गया कि धर्म संसद में न सिर्फ नफरती भाषण दिए गए बल्कि एक समुदाय के विरुद्ध खुलकर नरसंहार का आह्वान किया गया। इस प्रकार के बयान भारत की एकता और अखंडता के लिए तो खतरा हैं ही साथ ही मुस्लिमों की जान को खतरे में भी डालने वाले हैं।
बता दें कि भाषणों को लेकर सोशल मीडिया पर भी काफी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। मामले के तूल पकड़ने के बाद कुछ दिनों पहले केस भी दर्ज किया गया था, किन्तु केवल एक शख्स को नामजद किया गया था, बाद में दो और लोगों के नामों को शिकायत में शामिल किया गया है। हालांकि, यहाँ ध्यान देने वाली बात यह भी है कि AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी पर अभी तक कोई मामला दर्ज नहीं हुआ है। उन्होंने भी कानपुर में विवादित भाषण दिया था।
गिद्धों के कोसने से गाएँ नहीं मरती ओवैसी साहब, ताकत तो प्रभु राम ने दिखा दी है अपनी, भोलेनाथ ने दिखा दी है अपनी, कोई भी गलती की तो “गिद्धों” का भरपूर इलाज होगा इस बार !! pic.twitter.com/HNC73fQbj6
— Shalabh Mani Tripathi (@shalabhmani) December 23, 2021
ओवैसी ने क्या कहा था :-
वायरल हो रहे वीडियो में ओवैसी ने कहा था कि, 'मैं पुलिस वालों को बता देना चाहता हूँ कि वो याद रखें कि न तो योगी हमेशा CM नहीं रहेंगे और न ही मोदी हमेशा PM रहेंगे। हम मुस्लिम वक़्त को देख कर चुप हैं, लेकिन ध्यान रहे कि हम कुछ भूलने वाले नहीं हैं। हमें तुम्हारा अन्याय याद रहेगा। अल्लाह अपनी ताकत से तुम्हे तबाह करेगा। इंशाल्लाह हम याद रखेंगे और वक़्त भी बदलेगा। तब तुम्हे बचाने कौन आएगा जब योगी अपने मठ और मोदी हिमालय में चले जाएँगे? याद रहे, हम नहीं भूलने वाले।' असदुद्दीन ओवैसी का यह विवादित बयान 12 दिसंबर को कानपुर की एक सभा में दिया गया बताया जा रहा है। इस बयान पर अभी तक कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई है।
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