लखनऊ: उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार मौजूदा कानून में महत्वपूर्ण बदलावों का प्रस्ताव देकर 'लव जिहाद' के खिलाफ़ कड़ा रुख अपना रही है। विधानसभा में उत्तर प्रदेश गैरकानूनी धार्मिक धर्मांतरण निषेध विधेयक 2024 पेश करने का उद्देश्य 'लव जिहाद' के दोषी व्यक्तियों को आजीवन कारावास की सज़ा देना है। इसके अलावा, विधेयक में गैरकानूनी धार्मिक धर्मांतरण के लिए धन मुहैया कराने को अपराध बनाने का प्रावधान है। यह विधेयक सोमवार (29 जुलाई 2024) को राज्य विधानसभा में पेश किया गया और सरकार इसे कल 30 जुलाई को पारित करवाएगी।
यूपी के मौजूद धर्मांतरण निषेध अधिनियम, 2021 के तहत ऐसे अपराधों के लिए 1 से 10 साल तक की सजा हो सकती है। यह अधिनियम पहले से ही केवल विवाह के उद्देश्य से किए गए धर्मांतरण को अमान्य करता है और छल या झूठ के माध्यम से किए गए धर्मांतरण को आपराधिक कृत्य मानता है। नए विधेयक का उद्देश्य 'लव जिहाद' के दोषियों के लिए आजीवन कारावास का प्रस्ताव करके और गैरकानूनी धार्मिक धर्मांतरण के लिए धन के मुद्दे को संबोधित करके इन प्रावधानों को और मजबूत करना है।
अधिनियम के अनुसार, जबरन या धोखे से धर्म परिवर्तन कराने पर 1 से 5 साल की कैद और 15,000 रुपये का जुर्माना हो सकता है। यदि इस तरह के धर्म परिवर्तन में नाबालिग, महिला या एससी-एसटी समुदाय के सदस्य शामिल हैं, तो सजा 3 से 10 साल की कैद और 25,000 रुपये के जुर्माने तक बढ़ जाती है। अधिनियम में यह भी कहा गया है कि धर्म परिवर्तन चाहने वाले व्यक्तियों को निर्धारित प्रपत्र का उपयोग करके दो महीने पहले जिला मजिस्ट्रेट को सूचित करना होगा। इस आवश्यकता का पालन न करने पर 6 महीने से 3 साल की जेल और न्यूनतम 10,000 रुपये का जुर्माना हो सकता है।
विधेयक का बचाव करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा कि इसका उद्देश्य कमज़ोर व्यक्तियों, ख़ास तौर पर महिलाओं को धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर या धोखे से बचाना है। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि प्रस्तावित कानून किसी ख़ास समुदाय या धर्म के ख़िलाफ़ भेदभाव नहीं करता है और यह सभी व्यक्तियों पर लागू होता है, चाहे उनकी धार्मिक पृष्ठभूमि कुछ भी हो।
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