कोच्ची: कोल्लम कोर्ट ने 2015 में हुए धमाके के मामले में तीन जिहादियों अब्बास अली, शमशुन करीम रजा और दाऊद सुलेमान को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। इनके ऊपर ₹30,000 का जुर्माना भी लगाया गया है। यह तीनों आतंकी तमिलनाडु के मदुरई के रहने वाले हैं और आतंकी ओसामा बिन लादेन की विचारधारा से प्रेरित होकर कट्टरपंथी सोच अपनाए हुए थे। उन्होंने "दार उल इस्लाम" नामक एक संगठन की स्थापना की थी, जिसमें वे अन्य मुस्लिमों को लादेन के रास्ते पर चलने के लिए उकसाते थे।
इन आतंकियों ने कोल्लम के साथ ही आंध्र प्रदेश के नेल्लोर और चित्तूर में भी धमाके किए थे। उनका उद्देश्य था कि देशभर में अदालतों को निशाना बनाकर आतंक का माहौल पैदा किया जाए। कोल्लम में, उन्होंने 15 जून 2016 को कोर्ट परिसर के बाहर एक जीप में IED लगाकर धमाका किया, जिसमें एक व्यक्ति घायल हो गया था। इस मामले की जांच NIA ने की और कोर्ट ने इन्हें दोषी करार दिया।
हालांकि, सजा मिलने के बावजूद इन आतंकियों के पास भारत की उच्च अदालतों में अपील करने का अवसर अभी भी खुला है। अक्सर देखा गया है कि बड़े वकील कानूनी दांव-पेंच का सहारा लेकर ऐसे मामलों में आरोपियों की सजा को कम करवा देते हैं या जमानत दिलवा देते हैं। उच्च अदालतों में अपील के माध्यम से यह आतंकी भी अपनी सजा को चुनौती दे सकते हैं, और संभावना है कि किसी तकनीकी आधार पर सजा कम की जा सकती है।
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