आधुनिक जीवनशैली में, बच्चों को माँ की आवश्यकता बहुत ज्यादा होती है। माँ की ममता, उसके खाने का स्वाद, उसकी देखभाल और उसकी समझ में ही बच्चे को वह आराम और सुरक्षा का महसूस होता है जो किसी अन्य चीज़ से मिलना मुश्किल है। लेकिन कई बच्चे ऐसे होते हैं जिनके पास इस संबंध में कोई विकल्प नहीं होता है। वे अपने बचपन की खुशियों से महरूम रहते हैं। इस लेख में हम जानेंगे कि माँ के बिना बच्चों का जीवन कैसा होता है।
माँ की उपस्थिति का महत्व: माँ की उपस्थिति बच्चों के लिए बेहद जरूरी होती है। उनके जीवन में एक माँ की ममता, स्नेह और प्यार बच्चों के लिए बहुत जरूरी होता है। एक माँ ही उन्हें संतुष्टि, सुरक्षा और आराम का महसूस करवाती है। माँ की गोद में बैठकर, उनकी माँग को छूकर, उनकी आंखों में देखकर, उनकी मुस्कान को देखकर बच्चों को अपने आप को सुरक्षित महसूस होता है।
बच्चों को माँ की गोद में बैठना क्यों पसंद होता है: बच्चों को माँ की गोद में बैठना उनके लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। यह उनके लिए एक आरामदायक स्थान होता है जहां वे अपनी माँ के साथ समय बिता सकते हैं। इससे उन्हें संतुष्टि का महसूस होता है जो कि दूसरी कोई चीज नहीं प्रदान कर सकती। इससे उनके अंदर संतोष, आराम और प्यार का भाव भरा जाता है।
माँ के बिना पिता का योगदान: जब माँ नहीं होती है, तब पिता बच्चों की देखभाल के लिए जिम्मेदार होते हैं। पिता बच्चों के साथ समय बिताकर उनकी आवश्यकताओं को समझते हैं और उन्हें संतुष्ट करने की कोशिश करते हैं। वे बच्चों के साथ खेलते हैं, उनकी शिक्षा और विकास को ध्यान में रखते हैं और उन्हें समझाते हैं कि माँ की तरह प्रेम और संवेदनशीलता की जरूरत होती है।
दादी-नानी का योगदान: जब माँ नहीं होती है, तब दादी-नानी बच्चों की देखभाल के लिए उपयोगी होते हैं। दादी-नानी अपने पोतों और पोतियों के साथ समय बिताने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। वे उनकी खान-पान, सफाई और खेल-कूद को संभालते हैं और उन्हें अपने साथ सक्रिय रखते हैं। दादी-नानी उन्हें समझाते हैं कि माँ की तरह प्रेम और संवेदनशीलता की जरूरत होती है।
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