बगदाद: पांच वर्ष पूर्व अपने घर बार मां-बाप को छोड़ कर आतंकी संगठन इस्मालिक स्टेट इन इराक एंड सीरिया (ISIS) के आतंकियों से शादी करने वाली लड़कियों के लिए ज़िंदगी किसी नरक से कम नहीं है. ISIS के खात्मे के बाद ये लड़कियां सीरिया के शरणार्थी शिविरों में बच्चों के साथ ज़िंदगी के दिन गुजार रही हैं और अब वापस अपने वतन लौटना चाहती हैं, किन्तु घर वापसी के सारे रास्ते बंद नज़र आ रहे हैं.
शमीमा बेगम एक ऐसी ही एक ISIS आतंकी की दुल्हन है जो 2014 में केवल 15 वर्ष की आयु में ब्रिटेन से भाग कर सीरिया जा पहुंची थी, लेकिन अब वापस जाना चाहती है. हालांकि, अब यह मुमकिन होता नहीं दिखाई दे रहा है. शमीमा ईस्ट लंदन के एक स्कूल में पढ़ती थीं. जिंदगी काफी खूबसूरत थी. न पैसे की कमी थी और न सुविधाओं को लेकर कोई समस्या थी, किन्तु अचानक दिमाग में एक फितूर ने जन्म लिया और शमीमा अपनी तीन सहेलियों के साथ आतंक के जूझ रहे देश सीरिया पहुँच गई.
इस छोटी आयु में ISIS की शैतानी आइडियोलॉजी ने दिमाग में इतना गहरा प्रभाव डाला कि अच्छी खासी जिदंगी दोजख से भी बदतर हो गई. शोख चुलबुली शमीमा ISIS के शैतानी शिविर में पहुंचकर शमीमा बेगम बन गई. अब 20 वर्ष की हो चुकी शमीमा की जिंदगी आज अजीब दोराहे पर खड़ी हुई है. शमीमा बेगम अपनी संतान के साथ ब्रिटेन की नागरिकता वापस पाने की कोशिश कर रही है, किन्तु शुक्रवार को वो अपनी कानूनी जंग हार गई. ब्रिटेन के आव्रजन अपील आयोग ने शमीमा की अर्जी ख़ारिज कर दी है.
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