नई दिल्ली: दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट ने शुक्रवार को AAP के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह को 27 अक्टूबर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। संजय सिंह को 4 अक्टूबर को प्रवर्तन निदेशालय ने दिल्ली शराब घोटाला मामले में गिरफ्तार किया था, जब केंद्रीय एजेंसी ने नॉर्थ एवेन्यू स्थित उनके घर पर छापा मारा था। इससे पहले शुक्रवार को संजय सिंह ने दिल्ली शराब नीति में कथित अनियमितताओं से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देने के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किया। सिंह ने ट्रायल कोर्ट द्वारा अपनी पिछली रिमांड का भी विरोध किया था।
मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति संजीव नरूला की पीठ ने आज ही मामले की सुनवाई की। सिंह के कानूनी वकील ने कहा कि AAP नेता को उनकी गिरफ्तारी के आधार के बारे में ठीक से जानकारी नहीं दी गई। बता दें कि, इस सप्ताह की शुरुआत में, एक विशेष अदालत ने संजय सिंह की प्रवर्तन निदेशालय (ED) की हिरासत 13 अक्टूबर तक बढ़ा दी थी। दिल्ली के मंत्री मनीष सिसौदिया और सत्येन्द्र जैन की गिरफ्तारी के बाद, संजय सिंह अब पिछले 17 महीनों में केंद्रीय एजेंसी द्वारा गिरफ्तार किए जाने वाले तीसरे AAP नेता हैं।
बता दें कि, AAP के संचार प्रभारी विजय नायर को भी शराब नीति मामले में सितंबर 2022 में गिरफ्तारी का सामना करना पड़ा था। अप्रैल में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने करीब नौ घंटे तक पूछताछ की थी। रिमांड आवेदन की सुनवाई के दौरान, ईडी का प्रतिनिधित्व कर रहे विशेष लोक अभियोजक एनके मट्टा ने आरोप लगाया कि संजय सिंह को 2 करोड़ रुपये नकद में दिए गए थे। ED ने दावा किया कि मामले में आरोपी दिनेश अरोड़ा के एक कर्मचारी, जो सरकारी गवाह बन गया, ने दो मौकों पर सिंह के घर पर 2 करोड़ रुपये पहुंचाए। ED के अनुसार, सिंह ने कथित तौर पर विशिष्ट शराब निर्माताओं और थोक विक्रेताओं को लाभ पहुंचाने के लिए बनाई गई उत्पाद शुल्क नीति के निर्माण और कार्यान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
वहीं, केजरीवाल ने शराब घोटाले को "पूरी तरह से झूठा" बताया और कहा कि जांच एजेंसियों के पास पर्याप्त सबूत नहीं हैं और आरोप निराधार हैं। केजरीवाल ने कहा कि, "उन्होंने हमारी बहुत जांच की, क्या कुछ पता चला? उन्हें एक पैसा भी नहीं मिला।" दिल्ली के मुख्य सचिव की एक रिपोर्ट के आधार पर दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना की सिफारिश के बाद ईडी और सीबीआई ने शराब नीति की जांच शुरू की। जहां सीबीआई भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच कर रही है, वहीं ईडी मामले के मनी लॉन्ड्रिंग पहलू पर ध्यान केंद्रित कर रही है।