गुवाहाटी. जाने-माने भाषाविद् और शिक्षाविद् व साहित्यकार डॉ. प्रमोद चंद्र भट्टाचार्य का लम्बी बीमारी के बाद सोमवार को निधन हो गया. डॉ. प्रमोद चंद्र की उम्र 94 वर्ष थी. उनके चार पुत्र थे. बताया जा रहा है कि डॉ. प्रमोद ने सोमवार तड़के सुबह 4.40 बजे अंतिम सांस ली थी.
डॉ. प्रमोद चंद्र भट्टाचार्य ने बोड़ो भाषा और साहित्य को बढ़ावा देने की दिशा में खास पहल की थी. उनके निधन की खबर मिलते ही पूरे राज्य में शोक की लहर दौड़ गई है. डॉ भट्टाचार्य के निधन पर असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल समेत राज्य की प्रमुख हस्तियों ने शोक संवेदना व्यक्त किया है. आपको बता दें डॉ भट्टाचार्य पिछले कुछ दिनों से राजधानी गुवाहाटी के एक निजी अस्पताल नेमकेयर में भर्ती थे जहां उनका इलाज चल रहा था. जानकारी के मुताबिक डॉ भट्टाचार्य को 1 नवम्बर को नेमकेयर अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया गया था.
बताया जा रहा है कि डॉ भट्टाचार्य का निधन स्वास सम्बंधित रोगों की वजह से हुआ है. सोमवार शाम को उनका अंतिम संस्कार राजधानी के नवग्रह श्मशान घाट पर किया गया. डॉ भट्टाचार्य विशिष्ट लेखक, साहित्यकार, शोधार्थी और भाषा विशेषज्ञ थे. इसके साथ ही वो गुवाहाटी के बी. बरुआ कॉलेज में प्रिंसिपल रहे थे. इतना ही नहीं साहित्य के क्षेत्र में भी डॉ भट्टाचार्य ने उल्लेखनीय कार्य किया था. उन्हें खास तौर से बोडो भाषा में पहले शोध के लिए भी जाना जाता है. डॉ भट्टाचार्य ने विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में हजारों की संख्या में आर्टिकल लिखा था.
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