'कोलकाता रेप-मर्डर केस की लाइव स्ट्रीमिंग रोकी जाए..', सिब्बल की मांग पर क्या बोला SC?

'कोलकाता रेप-मर्डर केस की लाइव स्ट्रीमिंग रोकी जाए..', सिब्बल की मांग पर क्या बोला SC?
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कोलकाता: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक पोस्टग्रेजुएट महिला डॉक्टर के बलात्कार और हत्या से संबंधित स्वत: संज्ञान मामले की सुनवाई शुरू की। इस मामले की लाइव स्ट्रीमिंग को लेकर पश्चिम बंगाल सरकार के वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने अनुरोध किया कि इसे रोका जाए, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उनके अनुरोध को अस्वीकार कर दिया। अदालत ने कहा कि लाइव स्ट्रीमिंग जारी रहेगी, क्योंकि यह जनहित में है।

सिब्बल ने आरोप लगाया कि उनके चैंबर में वकीलों को सोशल मीडिया पर धमकियाँ मिल रही हैं और ज़मीन पर मौजूद लोग भी टिप्पणियाँ कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि महिला वकीलों को धमकियाँ मिल रही हैं कि उनके ऊपर तेज़ाब फेंका जाएगा और उनका बलात्कार किया जाएगा। सिब्बल की इन टिप्पणियों पर सुप्रीम कोर्ट ने आश्वासन दिया कि यदि वकीलों और अन्य लोगों को कोई खतरा होता है, तो अदालत हस्तक्षेप करेगी और सुरक्षा प्रदान करेगी। लेकिन इसके लिए लाइव स्ट्रीमिंग रोकककर जनता तक तथ्य पहुँचने से नहीं रोका जा सकता। 

सुप्रीम कोर्ट की पीठ, जिसमें मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा शामिल हैं, इस मामले की सुनवाई कर रही है। सुनवाई के दौरान, सीबीआई के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि विकिपीडिया पर पीड़िता का नाम और फोटो प्रदर्शित हो रहे हैं। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि विकिपीडिया को इसे हटाने का निर्देश जारी किया जाएगा।

सवाल उठता है कि ममता बनर्जी की सरकार और उनके वकील कपिल सिब्बल सुप्रीम कोर्ट में मामले की लाइव सुनवाई को क्यों रोकना चाहते हैं? क्या वे कुछ छुपाने की कोशिश कर रहे हैं? पहले ही बंगाल की ममता सरकार पर सबूतों को नष्ट करने, आरोपियों का बचाव करने और मामले को दबाने के आरोप लगे हैं। अब, कपिल सिब्बल मामले की सुनवाई के दौरान सामने आने वाले तथ्यों को भी छिपाने की कोशिश कर रहे हैं। इससे पहले, सिब्बल ने ममता सरकार की ओर से कहा था कि महिला डॉक्टरों को रात में ड्यूटी नहीं करनी चाहिए, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने तीखी प्रतिक्रिया दी थी। अदालत ने कहा था कि महिलाओं को सुरक्षा देने के बजाय उन पर बंदिशें लगाने की बात करना अनुचित है, और यह राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि वह महिला डॉक्टरों को सुरक्षा प्रदान करे।

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