पटना: प्रदेश में बासी ताड़ी पीकर बीमार पड़ने वाले मरीजों की संख्या में एक बार फिर से बढ़त देखने के लिए मिल रही है। बताया जा रहा है बासी ताड़ी पीने से लोगों के लिवर में इन्फेक्शन व लिवर खराब हो रहा है। जी हाँ और इस मामले में डॉक्टर्स का कहना है कि आइजीआइएमएस में इलाज के लिए आने वाले लिवर में मवाद की बीमारी (अमिबिक लिवर एबसेस) से पीड़ितों में 77 से 80% का लिवर बासी ताड़ी पीने से खराब हुआ है। जी हाँ और इनमें से करीब दो प्रतिशत की तो मौत भी हो चुकी है।
खबर है कि आइजीआइएमएस के गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ आशीष झा के नेतृत्व में हुए रिसर्च में ये बातें सामने आयी है। जी दरअसल आइजीआइएमएस में लिवर की मवाद बनने से पीड़ित 198 मरीजों पर शोध किया गया था और इनमें 80% ऐसे थे, जो बासी या पुरानी ताड़ी पीने वाले पाये गये। इनमें अधिकतर मरीज कुपोषित हो चुके थे।
दूसरी तरफ मरीजों से बातचीत में पता चला है कि ये दो दिन पुरानी ताड़ी या फिर सुबह की ताड़ी शाम को पीते थे। दूसरी तरफ कुछ का कहना था कि ताड़ी बेचने वाली जगह में गंदगी थी, जहां संक्रमण का खतरा अधिक पाया जाता है। आपको बता दें कि संस्थान के गैस्ट्रो विभाग में वर्तमान में करीब 25 मरीज भर्ती हैं, जो ताड़ी पीकर बीमार हैं, जबकि रोजाना पांच से 10 मरीज ओपीडी में इलाज कराने आ रहे हैं।
कहा जा रहा है इस शोध को दो प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय पत्रिका जेजीएच-ओपन व ट्रॉपिकल डॉक्टर में प्रकाशित किया गया है और डॉक्टर एक महीने तक एंटीबायोटिक व एक और दवा देकर इन्फेक्शन कम कर रहे है। फिलहाल संस्थान के गैस्ट्रो विभाग में करीब 25 मरीज भर्ती हैं, जो ताड़ी पीकर बीमार हैं। इसी के साथ रोजाना पांच से 10 मरीज ओपीडी में इलाज कराने आ रहे हैं।
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