नेटफ्लिक्स पर हाल ही में रिलीज हुई फिल्म ‘आईसी-814: द कंधार हाईजैक’ को लेकर सोशल मीडिया पर उठ रहे सवालों के बीच, सीरीज के मेकर, डायरेक्टर एवं कलाकारों ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की। इस के चलते नसीरुद्दीन शाह भी मंच पर उपस्थित थे। जब उनसे 1999 की घटना पर बातचीत की गई, तो उन्होंने बताया कि हाईजैक की खबर सुनने के पश्चात् उनका मनोबल कैसा था।
मीडिया से चर्चा के चलते नसीरुद्दीन शाह ने कहा, “उस समय मेरी उम्र 50 साल थी। मैं बहुत परेशान हो गया था क्योंकि मुझे डर था कि इससे इस्लामोफोबिया की लहर उठ सकती है। खुशकिस्मती से ऐसा नहीं हुआ, मगर मुझे याद है कि मैं स्थिति को लेकर बहुत चिंतित था तथा सोच रहा था कि यह किस दिशा में जाएगा।” नसीरुद्दीन शाह ने आगे कहा, “जब पूरी विपदा का समाधान हो गया, तब भी मेरे मन में द्वंद्व चल रहा था। डील पूरी होने के पश्चात् मैं असहज महसूस कर रहा था। मुझे नहीं पता क्यों, लेकिन ऐसा महसूस हुआ कि यात्रियों और पायलट ने कठिन दौर से गुजारा था।” नसीरुद्दीन शाह के इस बयान के पश्चात्, एक बार फिर यह सवाल उठ रहे हैं कि क्या यही असली वजह है कि सीरीज में जानबूझकर आतंकियों के असली नाम बताने की बजाय उनके कोडवर्ड का अधीक इस्तेमाल किया गया तथा उन्हें एक बेहतर इंसान के रूप में दिखाया गया।
Naseeruddin Shah says when IC 814 Hijack happened, he was worried about 'Islamophobia'.
— Ankur Singh (@iAnkurSingh) September 3, 2024
"I feared that it would lead to Islamophobia"
Is this why the Web Series whitewashed the Terrorists and showed them good human beings?
And instead showed R&AW in bad light? pic.twitter.com/F4MAEbk9Ib
लोगों का कहना है कि यदि किसी अपराध को मजहब से जुड़े दहशतगर्दो ने अंजाम दिया है, तो उस अपराध की जानकारी देने से इस्लामोफोबिया कैसे फैल सकता है। इसके अतिरिक्त, यह भी तर्क किया जा रहा है कि जब पूरी दुनिया उन यात्रियों की सलामती की दुआ कर रही थी, उस समय भी यह व्यक्ति केवल इस्लाम के बारे में ही सोच रहा था।
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