भारत समेत कई देशों में फिलहाल लॉकडाउन चल रहा है. इस लॉकडाउन का मकसद कोरोना वायरस का संक्रमण भारत में रोकना है. वही, बात करे लॉकडाउन की तो, इसमें लोगों को अपने घरों से निकलने, दैनिक नियमित कामकाज करने तथा एक जगह ज्यादा संख्या में जुटने पर मनाही है. स्कूल-कॉलेज, बाजार-हाट, मॉल-रेस्तरां, ट्रेन, बस और विमान सेवाएं भी बंद हैं.
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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि आमजन इन पाबंदियों से हो रही परेशानियों को इस आस में झेल रहा है कि लॉकडाउन समाप्त होते ही बीमारी का आतंक खत्म हो जाएगा और फिर जोर-शोर से जिंदगी पटरी पर लौटेगी. लेकिन, यहां सबसे बड़ा सवाल तो यही है कि क्या इसी लॉकडाउन से बीमारी से मुक्ति मिल जाएगी? चीन और हांगकांग के अनुभव तो संदेह और सवाल खड़े कर रहे हैं. उनका अनुभव बता रहा है कि एक लॉकडाउन से इस बीमारी से छुटकारा नहीं मिल सकता.
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वायरस के प्रभाव को गहराई से समझने के लिए चीन और हांगकांग के अनुभवों पर गहराई से विचार करें. इस साल की शुरुआत में चीन में कोरोना संक्रमितों की संख्या बड़ी तेजी से बढ़ी थी, लेकिन घनी आबादी वाला हांगकांग कम्युनिटी रेस्पांस और सरकारी पहल (एक्शन) की बदौलत वायरस के प्रसार को थामने में कुछ हद तक सफल रहा. कई रोगियों को इलाज के बाद अस्पतालों से छुट्टी दी गई. कुछ अभी भी अस्पताल में हैं. जिन कर्मियों को घर से काम करने का आदेश था, उन्हें इस महीने दफ्तर लौटने की अनुमति दी गई. जल्द ही निजी क्षेत्र ने भी इसका अनुसरण शुरू किया. बसों और सबवे में यात्रियों का आना शुरू हो गया. सप्ताहों तक वीरान रहे बार और रेस्तरांओं में रौनक लौटने लगी. जब दुनिया भर में वायरस के प्रकोप बढ़ने की खबरें आ रही हैं, ऐसे समय में हांगकांग धीरे-धीरे पटरी पर लौटता दिखने लगा.
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