भारत में मोदी सरकार ने कोरोना वायरस पर काबू पाने के लिए लॉकडाउन जैसे कदम उठाए है. वही, लॉकडाउन के चलते देश के उद्योगों और अंसगठित क्षेत्र के लाखों कर्मचारियों को राहत देने के लिए 18 अरब डॉलर (करीब 13.64 खरब़ रुपये) का आर्थिक पैकेज लाने की तैयारी कर रही है. उद्योग जगत के सूत्रों के अनुसार सरकार नासिर्फ करोड़ों जन-धन खातों में सीधे तौर पर राहत राशि डालने की तैयारी में है, बल्कि हैंड सैनेटाइजर जैसी आवश्यक वस्तुओं पर जीएसटी भी कम कर सकती है. साथ ही कंपनियों को स्थगित कारपोरेट टैक्स का लाभ भी दे सकती है, ताकि कंपनियों को हुए आर्थिक नुकसान के कारण लोगों का रोजगार न जाए.
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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि इस वित्तीय पैकेज में शेयर बाजार के लिए भी राहत हो सकती है, जिसने पिछले दिनों अब तक की सबसे बड़ी गिरावट देखी है. सूत्रों का कहना है कि केंद्र सरकार और नियामक संस्था सेबी लंबी अवधि के पूंजीगत लाभ (एलटीसीजी) और शेयर बायबैक पर अस्थाई रूप से कर हटाने पर विचार कर रही है. इस कदम से शेयर बाजार के उन निवेशकों को बड़ी राहत मिल सकती है जो लगातार बिकवाली से शेयर मार्केट में भारी नुकसान उठा चुके हैं. चूंकि इन बायबैक से निवेशकों को एक्जिट करने के लिए अपने शेयरों के बेहतर कीमत मिल जाएगी.
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अगर आपको नही पता तो बात दे कि एलटीसीजी पर कर हटाने से शेयर बाजार में और निवेशकों को आकर्षित किया जा सकेगा. इसके अलावा, केंद्र सरकार का यह आर्थिक पैकेज मध्यम वर्ग के लोगों के लिए भी नकद धनराशि की सौगात लाएगा. ताकि बाजार में वस्तुओं की खपत को बढ़ावा मिले. इस सेगमेंट के लोगों को सरकार की ओर से ईएमआई के भुगतान में भी राहत मिल सकती है. चूंकि ऐसे लोगों के ईएमआई का भुगतान में कुछ महीनों के लिए स्थगित हो सकता है. सरकार और निजी क्षेत्र के लिए काम कर रहे उद्योग जगत के एक विशेषज्ञ के अनुसार बचत की ब्याज दरों में भारी कटौती हो सकती है और यही कमी कर्ज की ब्याज दरों में भी हो सकती है.
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