बनारस: लॉकडाउन-3 की अवधि भी पूरी होने वाली है, लेकिन ढील को लेकर असमंजस बरकरार है. इसका प्रभाव कई कारोबार पर पड़ रहा है. इन्हीं में से एक है मशहूर बनारसी पान का व्यवसाय. सात सप्ताह का समय गुजर जाने के बाद बनारसी पान के कारोबार की ऐसी दुर्गत तस्वीर उभरकर सामने आ रही है, जिसके बारे में किसी ने कल्पना भी नही की थी. अब तक करोड़ों रुपए के नुकसान को झेल चुका, ये कारोबार अभी भी स्पष्ट दिशा-निर्देशों के अभाव में असमंजस की स्तिथि में है.
पान न सिर्फ एक वनस्पति या खाघ सामग्री है, बल्कि एक संस्कार भी है. सनातनी परंपरा या शुभ कामों में पान के बिना किसी भी काम के शुभारंभ की कल्पना भी नहीं की जा सकती है, तो किसी भी धर्म को मानने वाले बनारसियों के लिए पान एक सत्कार का भी माध्यम है. लॉकडाउन के 7 सप्ताह के बाद की स्थिति ये है कि देश के सभी कोनों और विदेश में भी पहुंच रखने वाला बनारसी पान अब दम तोड़ता जा चुका है.
बनारस के चेतगंज के जियापुर इलाके में सैकड़ों वर्षों की पुरानी परंपरा के तहत लगने वाली पान मंडी वीरान पड़ी हुई है. मंडी में सैकड़ों डोलचियां या तो खाली पड़ी है या तो फिर उनमें रखे हुए पान सड़ चुके हैं. उसी मंडी के बाहर आजीविका के लिए पान बेचने के लिए विवश एक छोटे पान विक्रेता विनोद ने बताया कि अभी उनकों पान बेचेने की अनुमति नहीं है, किन्तु जिवकोपार्जन के लिए पान मंडी के बाहर बेच रहें हैं.
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