तिराना: आज के समय में बीमारी हो या कोई आपदा दोनों ही मानव जीवन पर संकट बन ही जाती है. जिसमे से एक है कोरोना वायरस यह एक ऐसी बीमारी है, जिसका अभी तक कोई तोड़ नहीं मिल पाया है. वहीं इस वायरस की चपेट में आने से 40000 से अधिक मौते हो चुकी है, जबकि लाखों लोग इस वायरस से संक्रमित हुए है. ऐसे में वैज्ञानिकों के लिए यह कहना जरा मुश्किल सा है कि इस बीमारी से कब तक निजात मिल पाएगा. जंहा इस बात को ध्यान में रखते हुए पूरी दुनिया में लॉकडाउन का आदेश भी जारी किया जा चुका है. वहीं यूरोपीय महाद्वीप की सबसे बड़ी और विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जर्मनी में भी कोरोना का ही रोना है. यहां कोरोना वायरस का संक्रमण रोकने के लिए कमोवेश वही उपाय किए गए हैं जो भारत में हैं. तमाम पाबंदियों के बाद 88 प्रतिशत जर्मन सरकार के कदमों से सहमत हैं. 32 प्रतिशत तो और अधिक कठोर नियम चाहते हैं. जर्मन सरकार ने संकट से निपटने के लिए 600 अरब यूरो (4800 अरब रुपये) का पैकेज घोषित किया है.
पड़ोस की सीमाएं बंद: 22 मार्च को कुछ कठोर नियम लागू किए गए. पड़ोसी देशों से सटी सीमाओं को बंद कर दिया गया. विदेशियों के जर्मनी आने पर रोक लगा दी गई. ट्रेनों और बस सेवाओं को 50 प्रतिशत घटा दिया गया. विमान सेवाएं भी पूरी तरह ठप हैं, सड़कों, खुले स्थानों पर या पार्कों में दो से अधिक लोग साथ-साथ नहीं दिख सकते. इसके बावजूद जर्मनी में कोरोना वायरस का प्रसार भारत की अपेक्षा कहीं तेज गति से बढ़ा है.
जर्मनी में पहला मामला 28 जनवरी को दिखा: जर्मनी में कोरोना वायरस के संक्रमण के पहले मामले की पुष्टि 28 जनवरी को हुई थी. कुछ दिन पहले फ्रांस में भी तीन मामलों की पुष्टि हो चुकी थी. दोनों देशों के प्रथम संक्रमित चीन से आए थे. भारत में पहले मामले की पुष्टि 30 जनवरी को हुई. जर्मनी की सरकार ने जब देखा कि कोरोना वायरस से होने वाली कोविड-19 बीमारी की रोकथाम के उपाय काम नहीं आ रहे हैं, तो 16 मार्च को बैंकों, डाकघरों, सुपरबाजारों, डॉक्टरों के दवाखानों, दवा की दुकानों, पेट्रोलपंपों और जरूरी सेवाओं को छोड़कर सब बंद करने का आदेश दिया.
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