काठमांडू: यहां एक तरफ बढ़ता ही जा रहा कोरोना का प्रकोप आज पूरी दुनिया के लिए महामारी का रूप लेता रहा है. वही इस वायरस की चपेट में आने से अब तक 40000 से अधिक मौते हो चुकी है. लेकिन अब भी यह मौत का खेल थमा नहीं है. इस वायरस ने आज पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया है. कई देशों के अस्पतालों में बेड भी नहीं बचे है तो कही खुद डॉ. इस वायरस का शिकार बनते जा रहें है. जिसको ध्यान में रखते हुए कई देशों में लॉकडाउन किया जा चुका है.
मिली जानकारी के अनुसार भारत-नेपाल सीमा पर रक्सौल-बीरगंज सीमा पर बिहार और उत्तर प्रदेश के हजारों लोग फंस गए हैं. कोविड-19 का संक्रमण रोकने के लिए दोनों देशों में लॉकडाउन लागू है जिससे दोनों तरफ पर्यटक और मजदूर फंस गए हैं. यातायात बंद रहने के कारण दोनों देशों की सीमा पर स्थित महाकाली नदी पार करने का प्रयास कर रहे तीन नेपाली नागरिकों को गिरफ्तार कर लिया गया. उत्तराखंड के धारचुला और पिथौरागढ़ जिले में 500 नेपाली नागरिक चार दिनों से फंसे हुए हैं. शुक्रवार की रात नेपाली अधिकारियों ने सीमा पर स्थित झूलते पुल का गेट खोल 225 नेपाली नागरिकों को धारचुला से निकाल लिया. जंहा यह भी कहा जा रहा है कि कोरोना वायरस खतरे के कारण रोकथाम के कदम के तहत भारतीय अधिकारियों ने किसी को भी अपने क्षेत्र में प्रवेश की अनुमति नहीं दी. इस कारण नो मैंस लैंड पर कई लोग 30 घंटे से फंसे हैं. 16 मार्च को भारत ने अपनी सीमा सील कर दी और बिहार में विदेशी नागरिकों का प्रवेश रोक दिया. पंद्रह दिनों के लिए बस सेवा निलंबित कर दी.
जानकारी के लिए हम बता दें कि स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा कि सीमा पर 49 पारगमन स्थलों में से एक जगह एक संक्रमित रोगी मिला है. अधिकारियों ने कहा कि नेपाल से सटे जिलों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. वहां पारगमन स्थलों की गहरी निगरानी की जा रही है. इस बीच मंत्रिमंडल की बैठक में नेपाल सरकार ने रविवार को अपना राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन और एक सप्ताह तक बढ़ाने का फैसला लिया है. सात अप्रैल की मध्य रात्रि तक नेपाल में लॉकडाउन लागू रहेगा. इस कारण भारतीय प्रवासियों को भोजन जुटाने आदि में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है
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