लॉकडाउन और कोरोना संकट के बीच रमजान का पवित्र महीने का आरंभ हो गया है. वही, रमजान के पवित्र महीने के दौरान मस्जिदों में जाने के बजाय, इस्लामिक विचारों के सभी स्कूलों के उलेमाओं और मुफ़्तीयों ने मुस्लिम समुदाय से अपने घरों पर तरावीह की नमाज़ अदा करने की अपील की है. देश में COVID-19 के प्रसार को रोकने के लिए देशव्यापी लॉकडाउन किया हुआ है.
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इस मामले को लेकर जामिया निज़ामिया के एक प्रेस नोट के अनुसार, उलेमाओं और मुफ़्तीस ने समुदाय के लोगों से 'घरों में इफ्तार की दावत देने के लिए .. और इफ्तार पार्टियों की मेजबानी नहीं करने का आग्रह किया है.' उन्होंने इसके बजाय लोगों से अपील की है कि वे इसके माध्यम से बचाए गए धन का दान करें. समाज के वंचित वर्ग के लिए.
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अपने में नोट में आगे कहा गया कि, 'आगे, उलेमाओं और मुफ़्तीस ने लोगों से अपील की है कि सरकार द्वारा लगाए गए लॉकडाउन का पालन करें. उन्हें स्वास्थ्य और चिकित्सा विशेषज्ञों की सलाह का पालन करना चाहिए और निवारक उपायों का पालन करना चाहिए, विशेष रूप से सामाजिक दूरी, सख्ती से.'
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