इंदौर: आप सभी जानते हैं कि तालाबों में नहरों से पानी आता है, परन्तु इनका ही लगातार गला घोटा जा रहा है. ऐसे चलता रहा तो तालाब पूर्णरूप से नष्ट हो जाएगें. वहीं, तालाबों को बचाने के लिए सरकार के पास क्या योजना है. आखिर शासन इस मामले में क्या कर रहा है. यह एक बड़ा सवाल बार-बार सामने आता हैं. हाई कोर्ट ने यह सवाल सरकार से तालाबों को लेकर दायर जनहित याचिका में मांगा है. शासन को चार सप्ताह में जवाब देना है. इस मामले पर अब सुनवाई मई के तीसरे सप्ताह में होगी.
शहर के तालाबों की बदहाली को लेकर हाई कोर्ट में यह जनहित याचिका पद्मश्री भालू मोंढे ने दायर की है. बीते मंगलवार को इसकी सुनवाई जस्टिस एससी शर्मा और जस्टिस शैलेंद्र शुक्ला की बेंच में हुई. मोंढे खुद ही याचिका में अपनी पैरवी कर रहे हैं. याचिका में बताया है कि रालामंडल क्षेत्र से आने वाली नहरों से ही बिलावली तालाब में पानी जमा होता है, परन्तु इन नहरों को ही बंद कर दिया गया है. अब ऐसी ही स्थिति सिरपुर तालाब को लेकर भी बन रही है.
नहरों को बंद कर वहां कॉलोनी विकसित की जा रही है. तो फिर बार-बार इस संबंध में नगर निगम और जिला प्रशासन को शिकायत भी की गई हैं लेकिन आजतक कोई कार्रवाई नहीं हुई हैं. मोंढे ने कहा कि बीते मंगलवार को कोर्ट ने आरंभिक तर्क सुनने के पश्चात् नगर निगम, शासन से जवाब मांगा है. वहीं, याचिका में आने वाली सुनवाई 15 मई को होगी. यह एक बड़ा सवाल हैं कि शहरीकरण में तालाब और नहरे ही नहीं बचेगी तो जीवनयापन कैसे होगा.
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