पर्यावरण क्लियरियंस लेने के लिए हुई लोक सुनवाई

पर्यावरण क्लियरियंस लेने के लिए हुई लोक सुनवाई
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नरसिंहपुर से संदीप राजपूत की रिपोर्ट 

नरसिंहपुर।  केंद्रीय जल आयोग एवं पर्यावरण की स्वीकृति के बग़ैर नर्मदा घाटी ने चिनकी परियोजना का टेंडर मंज़ूर किया।  बग़ैर काम किए पचास करोड़ का भुगतान किया। वही चिनकी बराज परियोजना के नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण द्वारा केरपानी में १० तारीख को पर्यावरण क्लियरियंस लेने के लिए लोक सुनवाई रखी गई।

जबकि इसके पहले ही परियोजना का 4700 करोड़ का टेंडर हो चुका है और एडवांस के रूप में कांट्रेक्टर को पचास करोड़ का भुगतान भी हो गया है। इस परियोजना में चिनकी जो कि हिरनपुर के पास नरसिंहपुर जिले में स्थित है में एक बैराज बनना है दूसरा बोरास गांव में जो उदयपुरा के पास है। इनके बीच में पांच इंटेक वेल बनेंगे जिनसे 3000 से लेकर 5000 हॉर्स पावर की मोटर लगाकर पंप करके पाइपलाइन के द्वारा खेत तक पानी पहुंचाया जाएगा इसके संबंध में आज केरपानी में पर्यावरण विभाग द्वारा पोलूशन कंट्रोल बोर्ड द्वारा लोगों की जनसुनवाई आयोजित की गई जिसमें परियोजना के गुण दोष बताए गए उसमें लोगों द्वारा उत्साह से भाग लेकर परियोजना की मूलभूत तथ्यों को रेखांकित किया गया इसमें कहा गया कि कोई भी परियोजना बनती है उसके लिए मूल रूप से केंद्रीय जल आयोग cwc  द्वारा भारत सरकार के माध्यम से  उसकी स्वीकृति मिलती है पहले एनवायरमेंटल इंपैक्ट एसेसमेंट यानी पर्यावरण का आकलन किया जाता है कि कोई नुकसान तो नहीं हो रहा उसके बाद बायोलाजीकल आकलन किया जाता है और जल की उपलब्धता का आंकलन किया जाता है उसके बाद उसको अनुमति दी जाती है शिवराज सरकार ने आनन-फानन परियोजना को जो कि पहले 12 सौ करोड़ की थी दो हजार करोड़ की हो गई और टेंडर लगते लगते अब 5000 करोड़ की हो गई है इसका टेंडर एक साउथ इंडियन फर्म ने लिया है। 
 
बोरास में और चिनकी में दो ऐसे बैराज बनाए जा रहे हैं ,बैराज मतलब ऐसे छोटे डैम जो कि नदी में बनते है उसके ऊपर गेट लगाए जाते हैं ऐसे बनाए जा रहे हैं उनसे पानी छोड़कर इनटैक्वेल बनेगा   सिंचाई विभाग द्वारा मूल रूप से ऐसी ट्यूबवेल इरीगेशन की छोटी-छोटी परियोजनाएं गांव-गांव में बनाई गई थी वह सारी परियोजना जना ठप हो गई हैं ट्यूबवेल इरीगेशन जिसका एक ऑफिस नरसिंहपुर में अभी भी है। 

ट्यूबवेल सिंचाई काशीखैरी में या अन्य जगह भी थी वहां जल उपभोक्ता संस्था बनाई गई थी और किसानों से पानी लेते थे वह मोटर पंप लगा था 25हॉर्सपावर से लेकर 100 हॉर्स पावर तक की मोटर डाली गई ये सारी परियोजनाएं फेल हो गई क्योंकि कि किसानों ने बिजली नही भरा अगर यह इतनी परियोजना बन रही जिसमें 3000 से 5000 हॉर्स पावर की मोटर लगाई जा रही हैं फोन मोटर्स लगाने के बाद जब गुजर जाएंगे और उनका जो बिल आएगा उनको सुधार के लिए समस्या आएगी यह पूरी तरह से यह परियोजना फेल होने वाली है और आगे चलने वाली नहीं है जनता के पैसे की खिलवाड़ है और जनता को भ्रमित किया जा रहा है कि आपको सिंचाई सुविधा दी जा रही यह लोगों को फसाने भ्रम जाल मात्र है यह परियोजना सफल नहीं होने वाली है वैसे भी बरगी बांध में वैसे इतना पानी नहीं है कि पानी दे सके गर्मी के दिनों में पानी इतना कम हो जाता है ऐसी परिस्थितियों में लिफ्ट स्कीम बनाकर जनता को भ्रमित किया जा रहा है इससे से किसानों का कुछ भी भला नहीं होने वाला है।

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