लोकसभा चुनाव 2019 सात चरणों में संपन्न हुआ है जिसके बाद अब रूझान आने शुरू हो गए है, वह आ गई है. अब से बस कुछ ही देर में देश की 542 लोकसभा सीटों के लिए मतगणना शुरू होगी. इनमें झारखंड की 14 लोकसभा सीटों पर भी जीत-हार का फैसला हो जाएगा। झारखंड में चार चरणों में चुनाव हुए. यहां मुख्य मुकाबला एनडीए और महागठबंधन के बीच हुआ.
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कुछ ज्यादा झारखंड में कांग्रेसनीत महागठबंधन के पास खोने को नहीं था और भाजपा के पास पाने को बहुत ज्यादा कुछ नहीं था. यहां भाजपा अपने दम पर चुनाव लड़ी, जबकि कांग्रेसनीत गठबंधन में दलों ने अपनी सूझबूझ दिखाई. पार्टियों ने जनाधार के आधार पर सीटों का बंटवारा किया. दूसरी ओर झारखंड मुक्ति मोर्चा ने राज्य में एक बार फिर अपनी खोई हुई जमीन वापस पाने का भरसक प्रयास किया. प्रदेश के मुखिया रह चुके हेमंत सोरेन के पिछले डेढ़ साल से किए जा रहे इसके उदाहरण के तहत दौरों को देखा जा सकता है.
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उसकी धुरविरोधी कांग्रेस ने झारखंड में भाजपा के बरक्स सूझबूझ भरी रणनीति की बदौलत मजबूत गठबंधन किया. सीट बंटवारे वाले दिन लालू प्रसाद यादव की करीबी और राजद की प्रदेश अध्यक्ष अन्नपूर्णा देवी को भाजपा ने अपने पाले में कर लिया, बावजूद इसके महागठबंधन यहां ठीक ठाक गठबंधन कर पाने में कामयाब रही. कांग्रेस यहां सात, शिबू और हेमंत सोरेन की झारखंड मुक्ति मोर्चा चार, बाबू लाल मरांडी की झारखंड विकास मोर्चा दो और राजद एक सीट पर भाजपा के टक्कर में रही. केवल चतरा में राजद की बगावत को छोड़ दें तो महागठबंधन झारखंड में शुरुआत से ही अपेक्षाकृत मजबूत दिखा. साल 2014 में 'मोदी लहर' के बीच यहां कुल 14 सीटों में से भाजपा को 12 सीटें हासिल हुई थी. वहीं, विधानसभा चुनाव में भी राज्य में भाजपा ने किला फतह किया. इस बार भाजपा यहां की 13 सीटों पर चुनाव लड़ी. केवल गिरीडीह सीट भाजपा की सहयोगी आल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन के हिस्से थी.
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