भारत से भगोड़ा कारोबारी घोषित विजय माल्या को लेकर आए दिन कोई न कोई खबर आती रहती है. विजय माल्या नौ हजार करोड़ रु की धोखाधड़ी का आरोप है. इस आरोपों के चलते भारत प्रत्यर्पित किए जाने के आदेश के विरुद्ध अपनी अपील के सिलसिले में बुधवार को ब्रिटेन के उच्च न्यायालय पहुंचा. किंगफिशर एअरलाइंस का भगोड़ा कारोबारी अदालत के द्वार पर संवाददाताओं से बचकर निकल गया और अपने वकील के साथ अंदर चला गया.अप्रैल, 2017 में प्रत्यर्पण वारंट को लेकर अपनी गिरफ्तारी के बाद से वह जमानत पर है.
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मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इससे पहले इस साल जुलाई में हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति जार्ज लेग्गट और न्यायमूर्ति एंड्रू पोपलवेल की पीठ ने व्यवस्था दी थी कि दिसंबर, 2018 में मुख्य मजिस्ट्रेट एम्मा अर्बथनॉट के फैसले से संबंधित मामले पर प्रथमदृष्टया उसके कुछ पहलुओं पर तार्किक ढंग से दलीलें दी जा सकती हैं. न्यायमूर्ति लेग्गट ने कहा था कि काफी हद तक, सबसे उल्लेखनीय आधार है कि वरिष्ठ डिस्ट्रिक्ट जज इस निष्कर्ष पर पहुंचने में गलत थीं कि (भारत) सरकार ने प्रथमदृष्टया मामला तय किया है.
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मुख्य मजिस्ट्रेट अर्बथनॉट जिस आधार पर निष्कर्ष पर पहुंची थी उस पर माल्या के वकील क्लेयर मोंटगोमेरी ने सवाल उठाया था और दावा किया था कि मुख्य मजिस्ट्रेट भारत सरकार की यह दलील मानने में भूल कर बैंठी कि माल्या ने जब अपनी (अब बंद हो चुकी) किंगफिशर एयरलाइंस के लिए कुछ ऋण मांगा था तब उनकी मंशा धोखाधड़ी करने की थी और ऋण के सिलसिले में उन्होंने गलत तथ्य सामने रखे थे एवं उनका ऋण लौटाने का इरादा नहीं है।माल्या छह लाख पचास हजार पाउंड के जमानत बांड पर बाहर है. उस पर अन्य पाबंदियां भी लगाई गई हैं. सुनवाई जारी रहने तक वह देश से बाहर नहीं जा सकता है.
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