दिल्ली : पिछले साल फर्जी तरीके से 80 हजार करोड़ रुपए का लॉन्ग टर्म कैपिटल गैन हासिल किए जाने का पता लगा है. इससे सबक सीखते हुए सरकार ने बजट में इस संबंध में जो भी बदलाव किए गए हैं, वह टैक्स चोरी और नियमों का दुरुपयोग रोकने के लिए हैं. आईपीओ निवेश और ईसोप्स के तहत ईमानदार निवेशकों को इससे कोई परेशानी नहीं होगी.यह बात केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के अध्यक्ष सुशील चंद्रा ने शनिवार को उद्योग संगठन फिक्की की बजट-बाद सेमिनार में कही.
सीबीडीटी के अध्यक्ष ने बताया कि देश में 15 लाख कंपनियां हैं. इनमें से केवल 6.8 लाख कंपनियां ही आयकर रिटर्न दाखिल करतीं हैं. इनमें से कई कंपनियां ऐसी हैं जिनका इस्तेमाल कागजी कंपनियों के तौर पर किया जाता है. परत-दर-परत ढांचे वाली फर्जी कंपनियां खड़ी की जातीं हैं. इनके जरिये कालेधन को सफेद में बदला जाता है.
इसकी कार्य पद्धति का खुलासा करते हुए चन्द्रा ने बताया कि पहले एक कागजी या मुखौटा कंपनी खड़ी की जाती है. इसे अंग्रेजी में शैल कंपनी और कारोबारियों की भाषा में ‘खोका’ कंपनी भी कहा जाता हैं. इसमें काफी लाभ दिखाया जाता है. उसके बाद कंपनी को शेयर बाजार में सूचीबद्ध कराया जाता है. फिर उसके ऊंचे शेयर मूल्यों का फायदा उठाते हुए निवेश को ऊंची कीमत पर शेयर बेचकर हासिल कर लिया जाता है.इसीलिए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 2017-18 के बजट में उन निवेशकों पर 10 फीसदी की दर से लॉन्ग टर्म कैपिटल गैन टैक्स लगाने का प्रस्ताव किया है.
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