आज है चित्रगुप्त जयंती, जानिए जन्म कथा और आरती

आज है चित्रगुप्त जयंती, जानिए जन्म कथा और आरती
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आप सभी को बता दें कि आज गंगा सप्तमी होने के साथ ही कायस्थ समाज के आराध्य भगवान चित्रगुप्त की जयंती भी है. ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं उनके जन्म की कथा और उनकी आरती जो आपको आज के दिन सुननी और करनी चाहिए.

जन्म कथा -  कहा जाता है जब ब्रह्मा जी ने सृष्टि का निर्माण किया तब उन्होंने देव-असुर, गंधर्व, अप्सरा, स्त्री-पुरुष पशु-पक्षी सभी को बनाया. कहते हैं ऐसे ही यमराज का जन्म हुआ, जो धर्मराज कहलाए और उनको सभी जीवों को उनके कर्म के आधार पर सजा देने का अधिकार प्राप्त हुआ. तब उन्होंने ब्रह्मा जी से अपने लिए एक कुशल सहयोगी मांगा. तब 1000 वर्ष बाद ब्रह्मा जी की काया से दिव्य पुरुष भगवान चित्रगुप्त प्रकट हुए. ब्रह्मा जी की काया से जन्म होने के कारण चित्रगुप्त जी कायस्थ कहलाए. भगवान चित्रगुप्त को यमराज का मुंशी भी कहा जाता है. वे अपनी भुजाओं में कलम, दवात, करवाल और किताब धारण करते हैं. वह सभी जीवों के जीवन-मृत्यु का लेखा-जोखा रखते हैं. उसके आधार पर ही यमराज उनको दंड या न्याय देते हैं. 

श्री चित्रगुप्त जी की आरती

श्री विरंचि कुलभूषण, यमपुर के धामी.
पुण्य पाप के लेखक, चित्रगुप्त स्वामी॥

सीस मुकुट, कानों में कुण्डल अति सोहे.
श्यामवर्ण शशि सा मुख, सबके मन मोहे॥

भाल तिलक से भूषित, लोचन सुविशाला.
शंख सरीखी गरदन, गले में मणिमाला॥

अर्ध शरीर जनेऊ, लंबी भुजा छाजै.
कमल दवात हाथ में, पादुक परा भ्राजे॥

नृप सौदास अनर्थी, था अति बलवाला.
आपकी कृपा द्वारा, सुरपुर पग धारा॥

भक्ति भाव से यह आरती जो कोई गावे.
मनवांछित फल पाकर सद्गति पावे॥

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