जब हुई थी भगवान गणेश और रावण के भाई विभीषण की लड़ाई

जब हुई थी भगवान गणेश और रावण के भाई विभीषण की लड़ाई
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भारत में हिन्दू धर्म से जुडी कई कहानियां हैं जो हैरान कर देने वाली है. इसी में एक कहानी है विभीषण और श्री गणेश की. जी हाँ, आज हम आपको उसी के बारे में बताने जा रहे हैं. जी दरअसल हम बात बात कर रहे हैं उच्ची पिल्लयार मंदिर की, जो तमिलनाडु के त्रिची में स्थित है. जी दरअसल यहाँ से जुडी एक कथा है जिसके अनुसार पौराणिक साक्ष्य बताते हैं कि यह वो स्थान है जो भगवान गणेश और रावण के भाई विभिषण से जुड़ी एक हैरान कर देने वाली घटना से संबंध रखता है. कहा जाता है रावध वध के बाद प्रभु श्रीराम ने रावण के भाई विभीषण को रंगनाथ की एक मूर्ति दी थी.

रंगनाथ भगवान विष्णु का ही एक रूप हैं और यह सब जानते हैं रावण और विभीषण के विचार एक दूसरे से मेल नहीं खाते थे. ऐसे में रावण का वध करने में विभीषण ने भगवान राम का साथ दिया था. जिस वक्त विभीषण को भगवान रंगनाथ की प्रतिमा दी गई, तो देवलोक के सभी देवताओं ने इससे निराशा जताई. वहीं वह सभी भगवान गणेश के पास गए और उनके प्रार्थना की कि वे ऐसा होने से रोके. उस प्रतिमा को लेकर यह तथ्य यह भी था कि वो जहां पहली बार रखी जाएगी वहीं स्थापित हो जाएगी. उसके बाद रावण का भाई विभीषण जब भगवान रंगनाथ की मूर्ति लेकर त्रिची पहुंचा तो उनका मन कावेरी नदी में स्नान करने का हुआ.

चूंकि उन्हें प्रतिमा लंबा ले जानी थी, और वे उसे कहीं ओर रख नहीं सकते थे, तो वे किसी को ढूंढने लगे. तभी उस स्थान पर एक चरवाहे बालक के रूप में भगवान गणेश का आगमन हुआ. विभीषण ने वो मूर्ति उस बालक के हाथ में थमा दी और कहा कि इसे जमीन पर न रखना. कहा जाता है जैसे ही विभीषण स्नान के लिए कावेरी नदी में उतरा, भगवान गणेश ने वो प्रतिमा जमीन पर रख दी. यह देख विभीषण क्रोधित हो गया, और उस बालक के गुस्से से दौड़ा. विभीषण को आते देख भगवान गणेश वहां से भागकर एक पहाड़ी चोटी पर जा बैठे. आगे रास्ता नहीं था इसलिए बालक को वहीं रूकना पड़ा. उसी दौरान विभीषण ने बालक से सिर पर वार कर दिया और उसके बाद भगवान गणेश अपने असल रूप में आ गए. कहा जाता है विभीषण ने यह देख भगवान से अपनी गलती के लिए माफी मांगी और तभी से भगवान गणेश इस पहाड़ी चोटी पर विराजमान हैं. वहीं भगवान गणेश की प्रतिमा पर आज भी चोट के निशान देखे जा सकते हैं.

वैशाख के महीने में काल से छुटकारा पाने के लिए एक बार जरूर सुने यह कथा

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