सावन : मौत के मुंह से भी आपको बचा लेगा शिव जी का यह मंत्र, इस तरह करें जाप

सावन : मौत के मुंह से भी आपको बचा लेगा शिव जी का यह मंत्र, इस तरह करें जाप
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सावन का माह जारी है और भगवान शिव के इस पवित्र माह में भक्त पूर्णतः शिव जी की भक्ति में डूबे हुए रहते हैं। लोग पूरे विधि-विधान के साथ शिव जी का पूजन करते हैं और भगवान भी अपने भक्तों की भक्ति से प्रसन्न होकर उनकी सभी मनोकामना पूर्ण करते हैं। साथ ही शिव जी अपने भक्तों को मृत्यु के भय से भी मुक्त कर देते हैं। यदि आप भी मृत्यु के भय से परेशान है तो आपको इसके लिए शिवजी के इस चमत्कारिक मंत्र का जाप करना चाहिए जो हम आपको नीचे बताने जा रहे हैं। 

तीनों लोकों के स्वामी भगवान शिव का यह सबसे बड़ा मंत्र है और मौत को भी मात देने की शक्ति वाले इस मंत्र को महामृत्युंजय मंत्र के नाम से जाना जाता है।

ऊं भूः भुवः स्वः ऊं त्रयम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात। 

इसी मंत्र का एक और वृहद रूप भी है, जिसे प्राणरक्षक और महामोक्ष के नाम से जाना जाता है। जिसका जाप बेहद गंभीर समस्या उत्प्प्न होने पर बेहद सटीकता और बिना किसी गलत उच्चारण के साथ किया जाना चाहिए। 

ऊं हौं जूं सः। ऊं भूः भुवः स्वः ऊं त्रयम्बकं यजामहे  सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात।। ऊं स्वः भुवः भूं ऊं। ऊं सः जूं हौं।

मंत्र के जाप के दौरान इन बातों का रखें ध्यान 

- मंत्र को जपते हुए यह ध्यान रहें कि किसी भी शब्द का गलत उच्चारण न हो। इसलिए मंत्र को देखकर बोलना उचित होगा। 

- जाप या तो सुबह करें या फिर शाम के समय।  दोपहर 12 बजे के बाद मंत्र को न जपें। 

- मानव किसी भी प्रकार के कोई गंभीर कष्ट से घिरा हुआ रहता है, तो वह इस मंत्र का जप कर सकता है। 

- मंत्र के जप को लेकर संख्या भी निर्धारित है। आप कम से कम जप की तीन माला (एक बार माला फेरने में 108 बार मंत्र उच्चारण करना होता है) अवश्य करें। ध्यान रहें इससे अधिक आप कर सकते हैं, हालांकि कम कतई नहीं। 

- यदि घर-परिवार में कोई व्यक्ति मृत्यु के निकट पहुंच गया है और इस बात के संकेत मिल गए है कि उसका बचना मुश्किल तो ऐसी स्थिति में सवा लाख मंत्र जाप का अनुष्ठान करें। भगवान शिव के इस मंत्र में मृत्यु को भी मात देने की शक्ति है।  

- जब मंत्र का जाप किया जा रहा हो तो उस समय निरंतर धूप-दीप आदि प्रज्ज्वलित होने चाहिए। 

- मंत्र की ध्वनि कभी भी होंठों के बाहर न सुनाई पड़ें। अतः आप धीमे स्वर में इसका उच्चारण करें। 

- मंत्र के जाप के दौरान शिवलिंग, महामृत्युंजय यंत्र, शिवजी की प्रतिमा या चित्र पास में जरूर होना चाहिए। 

- मंत्र के जाप से पहले शिवलिंग का जलाभिषेक करना शुभ होगा। 

- कुशा के आसन पर बैठकर ही इस मंत्र का जाप करना चाहिए। 

 

 

 

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