भगवान शिव का वाहन नंदी को कहा जाता है और इसका प्रमाण पुराणों में भी मिलता है। शिव भगवान को नंदी अति प्रिय है। भगवान शिव ने स्वयं ही नंदी को आशीर्वाद दिया था की वे जहा भी जाएगे नंदी उनके साथ रहेगा। इसलिए जहा भी शिव भगवान विराजमान होते है उनके साथ नंदी भी होते है। मान्यता है की नंदी के कान में जो कोई भी अपनी मनोकामना बोलता है वह पूरी हो जाती है।
कथा के अनुसार नंदी शिव भगवान के परम भक्त माने जाते है। नंदी जी को भगवान शिव की असीम कृपा और शक्ति भी प्राप्त है। इसलिए भगवान शिव के आशीर्वाद के लिए नंदी जी को खुश करना जरुरी होता है। समुद्र मंथन के समय भगवान शिव ने संसार की रक्षा के लिए हलाहल विष को पिया था। विष की एक बून्द धरती पर गिर गई थी। उस समय सृष्टि की रक्षा के लिए विष की बूंद को नंदी ने अपनी जीभ से हटाया था। इस घटना के बाद से ही नंदी जी भगवान शिव के अति प्रिय बन गए थे।
भगवान शिव हमेशा तपस्या में लीन रहते है और नंदी जी भगवान के सामने बैठे हुए रहते है ताकि उनकी तपस्या में कोई भी बाधा न डाले, एक पौराणिक कथा के अनुसार यह भी माना जाता है भगवान शिव ने ही कहा था की कोई भी नंदी के कान में अपनी मनोकामना कहेगा तो वह पूर्ण होगी। कथाओ में भी कहा जाता है की व्यक्ति को अपनी मनोकामना नंदी के बाएं कान में कहनी चाहिए। बाए कान में मनोकामना बोलने का महत्व विशेष माना जाता है। हालांकि आप दूसरे कान में भी अपनी मनोकामना कह सकते हैं। पुराणिक शास्त्रों में ‘ॐ’ शब्द को पूरे ब्रह्माण्ड का प्रतीक कहा गया है। इसलिए नंदी के कान में अपनी मनोकामना बोलने से पहले ‘ॐ’ शब्द का स्मरण करना चाहिए। इससे आपकी मनोकामना भगवान शिव तक जल्दी पहुंचती है।
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