1- एक उमर बीत चली है तुझे चाहते हुए,
तू आज भी बेखबर है कल की तरह।
2- मुकम्मल ना सही अधूरा ही रहने दो,
ये इश्क़ है कोई मक़सद तो नहीं है।
3- चाहत हुई किसी से तो फिर बेइन्तेहाँ हुई,
चाहा तो चाहतों की हद से गुजर गए,
हमने खुदा से कुछ भी न माँगा मगर उसे,
माँगा तो सिसकियों की भी हद से गुजर गये।
4- न जाहिर हुई तुमसे और न ही बयान हुई हमसे,
बस सुलझी हुई आँखो में उलझी रही मोहब्बत।
5- लोगों ने रोज ही नया कुछ माँगा खुदा से,
एक हम ही हैं जो तेरे ख्याल से आगे न गये।
6- राज़ खोल देते हैं नाजुक से इशारे अक्सर,
कितनी खामोश मोहब्बत की जुबान होती है।
7- मुझ में लगता है कि मुझ से ज्यादा है वो,
खुद से बढ़ कर मुझे रहती है जरुरत उसकी।
8- संभाले नहीं संभलता है दिल,
मोहब्बत की तपिश से न जला,
इश्क तलबगार है तेरा चला आ,
अब ज़माने का बहाना न बना।
9- मोहब्बत नाम है जिसका वो ऐसी क़ैद है यारों,
कि उम्रें बीत जाती हैं सजा पूरी नहीं होती।
10- वो रख ले कहीं अपने पास हमें कैद करके,
काश कि हमसे कोई ऐसा गुनाह हो जाये।