भारत की राजधानी दिल्ली में महिलाओं के लिए सार्वजनिक बसों में सफर करना मुफ्त है, ये तो आप सभी जानते ही होंगे. लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि दुनिया में एक ऐसा देश भी है, जो अगले महीने से सभी नागरिकों के लिए ट्रेन या बसों में आना-जाना मुफ्त करने वाला हैं. आपको यह जानकर हैरानी तो हो रही होगी, लेकिन यह बिल्कुल सच है. ऐसा करने वाला यह देश दुनिया का पहले देश होने वाला हैं. इस देश का नाम है लग्जमबर्ग, जो यूरोप का सातवां सबसे छोटा लेकिन अमीर देश है. यहां एक मार्च 2020 से ट्रेन, ट्राम और बसों में आने-जाने का कोई पैसा नहीं लिया जाएगा. देश के नागरिकों के लिए परिवहन की ये सारी सुविधाएं मुफ्त होंगी और सिर्फ देश के नागरिकों के लिए ही नहीं बल्कि इससे लग्जमबर्ग में आने वाले सैलानियों का भी फायदा होगा.
दरअसल, साल 2018 के अंत में जेवियर बेटल ने लक्जमबर्ग के प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ली थी. इससे पहले चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने ये एलान किया था कि वो पब्लिक ट्रांसपोर्ट को मुफ्त कर देंगे. एक रिपोर्ट के अनुसार, इस फैसले से लक्जमबर्ग के करीब छह लाख निवासियों, 1,75,000 सीमा-पार के मजदूरों और यहां आने वाले सालाना 12 लाख सैलानियों को फायदा होगा. लक्जमबर्ग में सार्वजनिक परिवहन को मुफ्त करने के पीछे भीड़भाड़ कम करना या पर्यावरण की दशा सुधारना मुख्य मकसद है. इसके अलावा इसका मकसद अमीरों और गरीबों के बीच बढ़ती खाई को भी पाटना है. दरअसल, यूरोपीय संघ के सभी देशों के मुकाबले यहां प्रति व्यक्ति कारों की संख्या सबसे ज्यादा है. लक्जमबर्ग में 60 फीसदी से अधिक लोग दफ्तर जाने के लिए अपनी कार का उपयोग करते हैं. सिर्फ 19 फीसदी लोग ही सार्वजनिक परिवहन के साधनों का इस्तेमाल करते हैं.
हालांकि लक्जमबर्ग में सार्वजनिक परिवहन पर पहले से भारी सब्सिडी है. दो घंटे के सफर की कीमत यहां दो यूरो यानी करीब 155 रुपये और पूरे दिन के लिए सेकेंड क्लास टिकट की कीमत चार यूरो यानी करीब 312 रुपये है. लेकिन 20 साल तक के छात्र-छात्राओं के लिए यहां सरकार ने मुफ्त ट्रांसपोर्ट की सुविधा दे रखी है.
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