हर साल नवरात्र का पर्व मनाया जाता है और इस पर्व को बहुत ही खास बताया जाता है. यह पर्व सभी के लिए ख़ास माना जाता है. ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं नवरात्र के अंतिम दिनों में माँ की कौन सी आरती करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो सकती है. आइए जानते हैं माँ की सबसे विशिष्ट आरती.
या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता |
नमस्ततस्ये नमस्तस्ये नमस्तस्ये नमो नम: ||
माँ जग जननी जी की आरती -
जग जननी जय ! जय !! माँ , जग जननी जय ! जय..
भयहारिणी , भवतारिणी , भवभामिनी जय ! जय ..
जग जननी जय ……………….||
तू ही सत चित सुखमय शुद्ध ब्रह्म रूपा |
सत्य सनातन सुन्दर पर शिव सुर भूपा |
जग जननी जय ……………………|| १ ||
आदि अनादी अनामय अविचल अविनाशी |
अनल अनन्त अगोचर अज आनन्द राशी ||
जग जननी जय ………………..|| २ ||
अविकारी अघहारी सकल कला धारी |
कर्ता विधि , भर्ता हरी , हर संहारकारी |
जग जननी जय ………….|| ३ ||
तू विधि वधु , रमा तू , उमा , महामाया |
मूल प्रकृति विद्धा तू , तू जननी जाया |
जग जननी जय ……………..|| ४ ||
राम , कृष्ण तू , सीता , बृज रानी , राधा |
तू वांछा ,कल्पद्रुम , हरिणी सब बाधा |
जग जननी जय ……………..|| ५ ||
दस विद्धा , नव दुर्गा , नाना शस्त्र फरा |
अष्ट मातृका , योगिनी , नव नव रूप धरा |
जग जननी जय ………………|| ६ ||
तू परम् धाम निवासिनी , म्हाविलासिनी तू |
तू ही श्मशान विहारिणी , तांडव लासिनी तू |
जग जननी जय ………….. || ७ ||
सुर मोहिनी सौम्या तू शौभा अति धारा |
विवसन विकट सरुपा , प्रलयमयी धारा ||
जग जननी जय ………………|| ८ ||
तू ही स्नेह सुधा मयी , तू अति गरल मना |
रत्न विभुषित तू ही , तू ही अस्थि तना |
जग जननी जय ……………….|| ९ ||
मूलाधार निवासिनी इह पर सिद्धि प्रदे |
काला तीता काली , कमला , तू वरदे |
जग जननी जय …………………|| १० ||
शक्ति शक्तिधर तू ही नित्य अभेद मयी |
भेद प्रदशिनी वाणी विमले ! वेद त्रयी |
जग जननी जय ……………….|| ११ ||
हम अति दिन दुखी माँ ! विपत जाल घेरे |
हैं कपूत अति कपटी , पर बालक तेरे |
जग जननी जय …………………..|| १२ ||
निज स्वभाव वश जननी ! दया दृष्टि कीजै |
करुनाकर करुणामयी ! चरण शरण दीजै |
जग जननी जय ………………|| १३ ||
आज इस आरती से करें माँ कात्यायनी को खुश
आज करें मां कूष्माण्डा की यह आरती
नवरात्र के 9 दिनों का पुण्य पाने के लिए जरूर करें माँ दुर्गा की यह आरती