आज शारदीय नवरात्रि का दूसरा दिन है और इस दिन माता ब्रह्मचारिणी का पूजन किया जाता है। ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं मां ब्रह्मचारिणी की कथा।
देवी ब्रह्मचारिणी की कथा- शास्त्रों के अनुसार देवी ने हिमालय के घर पुत्री के रूप में जन्म लिया था और भगवान शंकर को अपने पति के रूप में प्राप्त करने के लिए उन्होंने घोर तपस्या की थी। इतनी कठिन तपस्या करने के कारण ही इनका नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा। माता ब्रह्मचारिणी ने तपस्या के दौरान केवल 1000 वर्ष तक फल खाए और 100 वर्षों तक जमीन पर रहकर शाक पर निर्वाह किया। माता ने कठिन उपवास रखे और खुले आकाश के नीचे वर्षा और धूप के घोर कष्ट सहती रहीं। माता ने 3000 वर्षों तक सिर्फ बेलपत्र खाए और भगवान शंकर का ध्यान करती रही।
3000 वर्षों तक तपस्या करने के बाद देवी ने बेलपत्र खाना भी छोड़ दिए और कई हजार वर्षों तक निर्जल और निराहार रहकर घोर तपस्या करती रही। देवी ब्रह्मचारिणी ने पत्तों को भी खाना छोड़ दिया था इसलिए इनका नाम अपर्णा पड़ गया। जब माता ब्रह्मचारिणी ने इतनी तपस्या करी तो उनका शरीर क्षीण गया था तब सभी देवता, ऋषि मुनि ने देवी ब्रह्मचारिणी की तपस्या को एक पुण्य कृत्य बताया और उनकी तपस्या की सराहना की। सभी देवताओं ने उन्हें आशीर्वाद दिया कि देवी आपकी मनोकामना पूर्ण होगी और भगवान चंद्रमौलेश्वर आपको पति के रूप में मिलेंगे।
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