इस साल नवरात्रि का पर्व 3 अक्टूबर, गुरुवार से शुरू होने जा रहा है, जो कि हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण त्योहार है। यह पर्व विशेष रूप से मां दुर्गा की उपासना के लिए मनाया जाता है, जिसमें नवदुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा की जाती है। यह पर्व आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से प्रारंभ होता है और इसका समापन 12 अक्टूबर, दशहरा के दिन होता है।
नवरात्रि का महत्व
नवरात्रि का पर्व हर साल पूरे श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। इस दौरान भक्तजन उपवास रखते हैं, विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान करते हैं, और मां दुर्गा की विभिन्न रूपों की आराधना करते हैं। इन नौ दिनों में विशेष रूप से माता दुर्गा की शक्तियों को समर्पित पूजा की जाती है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक मानी जाती है।
मां दुर्गा का आगमन
जब भी मां दुर्गा का आगमन होता है, तो यह माना जाता है कि वह किसी न किसी वाहन पर सवार होकर आती हैं। इस बार ज्योतिषियों के अनुसार, मां दुर्गा पालकी पर सवार होकर आ रही हैं। यह संकेत देता है कि मां दुर्गा का वाहन इस बार डोली होगी। यह जानकारी पंचांग से प्राप्त होती है, जो धार्मिक और ज्योतिषीय गतिविधियों के लिए महत्वपूर्ण होता है।
अशुभ संकेत
मां दुर्गा का इस बार पालकी या डोली पर सवार होकर आना कुछ अशुभ संकेत भी देता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, नवरात्रि में माता की सवारी का विशेष महत्व होता है। देवी पुराण के अनुसार, पालकी पर सवार का संकेत है कि देश में आर्थिक तंगी और प्रकृति में नुकसान के संकेत हैं।
यहां यह भी उल्लेखनीय है कि मां दुर्गा का पालकी पर सवार होकर आना अर्थव्यवस्था में गिरावट, व्यापार में मंदी, और देश-दुनिया में महामारी के बढ़ने के संकेत देता है। इस प्रकार, नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा की उपासना का धार्मिक महत्व और उसके साथ जुड़ी हुई ज्योतिषीय व्याख्याएँ भक्तों के लिए विशेष ध्यान का विषय होती हैं।
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